/newsnation/media/media_files/2025/12/13/kolhapuri-chappal-1-2025-12-13-11-14-52.jpg)
Kolhapuri Chappal
Kolhapuri Chappal: दुनिया का मशहूर लग्जरी फैशन ब्रांड प्राडा अब भारतीय पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलों से प्रेरित एक खास फुटवियर रेंज लॉन्च करने जा रहा है. यह कलेक्शन सीमित संख्या में होगा और इसे भारत में ही तैयार किया जाएगा. यह कदम उस विवाद के कुछ महीनों बाद आया है, जब प्राडा पर कोल्हापुरी चप्पलों की नकल करने के आरोप लगे थे. ऐसे में चलिए हम आपको इसकी कीमत से लेकर इतिहास तक के बारे में विस्तार से बताते हैं.
महाराष्ट्र और कर्नाटक में होगा निर्माण
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्राडा महाराष्ट्र और कर्नाटक में कुल 2,000 जोड़ी चप्पलें बनवाएगा. इसके लिए कंपनी ने दो सरकारी सहयोगी संस्थाओं के साथ समझौता किया है. प्राडा के कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी प्रमुख लोरेंजो बर्टेली ने कहा कि स्थानीय कारीगरों के पारंपरिक कौशल को प्राडा की आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जाएगा.
कीतनी है कोल्हापुरी चप्पल की कीमत?
यह विशेष कलेक्शन फरवरी 2026 में ऑनलाइन और दुनिया भर में प्राडा के 40 स्टोर्स पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगा. एक जोड़ी चप्पल की कीमत करीब 939 डॉलर बताई गई है, जो भारतीय मुद्रा में लगभग 85,000 रुपये के आसपास है. इस समझौते पर इटली-इंडिया बिज़नेस फ़ोरम 2025 के दौरान हस्ताक्षर किए गए.
विवाद से सहयोग तक का सफर
जून में प्राडा ने खुले पंजों और चोटीदार पैटर्न वाली चप्पलें पेश की थीं. इनका डिजाइन पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलों से मिलता-जुलता था.
शुरुआत में प्राडा ने इन्हें केवल “लेदर फुटवियर” बताया और भारत का जिक्र नहीं किया. इससे भारत में नाराज़गी फैली और सांस्कृतिक अपहरण के आरोप लगे. बाद में कंपनी ने स्वीकार किया कि इस डिजाइन की जड़ें भारत में हैं. इसके बाद प्राडा की एक टीम कोल्हापुर पहुंची और कारीगरों से मुलाकात की.
कारीगरों को इटली में मिलेगा ट्रेनिंग
महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने बताया कि इस पहल का नाम होगा ‘Prada Made in India – Inspired by Kolhapuri Chappals’. उन्होंने कहा कि कुछ कारीगरों को प्राडा और महाराष्ट्र की लेदर इंडस्ट्री से जुड़ी सरकारी संस्था लिडकॉम द्वारा विशेष ट्रेनिंग दिया जाएगा. करीब 200 कारीगरों को तीन साल के लिए इटली भेजा जाएगा. वहां उन्हें आधुनिक तकनीकों की ट्रेनिंग मिलेगी. यह समझौता पांच साल के लिए किया गया है और राज्य सरकार कारीगरों को आर्थिक सहायता भी देगी.
कोल्हापुरी चप्पलों की सदियों पुरानी पहचान
कोल्हापुरी चप्पलें महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर से जुड़ी हैं. इनका इतिहास लगभग 700 साल पुराना माना जाता है. स्थानीय लोग इन्हें ‘कोल्हापुरी पायताण’ भी कहते हैं. ये चप्पलें मजबूत चमड़े से बनती हैं. कई बार इनमें प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल होता है. गर्म मौसम के लिए इन्हें बेहद टिकाऊ और आरामदायक माना जाता है. इतिहासकारों के अनुसार, चालुक्य काल से ही कर्नाटक और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में इनका चलन रहा है. शाहू महाराज के शासनकाल में इन्हें खास पहचान मिली. उन्होंने खुद इन्हें पहनकर सम्मान दिलाया. आज कोल्हापुरी चप्पलें भारतीय हस्तशिल्प और परंपरा की एक मजबूत पहचान बन चुकी हैं.
यह भी पढ़ें: White Vs Brown Egg: सफेद या ब्राउन सेहत के लिए कौन सा अंडा ज्यादा ताकतवर होता है? एक्सपर्ट से जानें दोनों में अंतर
/newsnation/media/agency_attachments/logo-webp.webp)
Follow Us