गणेशोत्सव का समापन: देशभर में 'बप्पा' को दी गई विदाई, देखें VIDEO

देशभर में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेशोत्सव का समापन बड़े धूमधाम से हुआ. दस दिनों तक चले इस महापर्व के बाद भक्तों ने अपने प्यारे बप्पा गणेश को विदाई दी. ढोल-नगाड़ों की थाप, गुलाल और जयकारों के बीच शोभायात्राएं निकाली गईं.

देशभर में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेशोत्सव का समापन बड़े धूमधाम से हुआ. दस दिनों तक चले इस महापर्व के बाद भक्तों ने अपने प्यारे बप्पा गणेश को विदाई दी. ढोल-नगाड़ों की थाप, गुलाल और जयकारों के बीच शोभायात्राएं निकाली गईं.

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Deepak Kumar
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शनिवार (06 सितंबर) को पूरे देश में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेशोत्सव का समापन हो रहा है. दस दिनों तक चले इस महापर्व के बाद भक्तजन अपने प्यारे बप्पा गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन कर रहे हैं. दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र और हैदराबाद तक जगह-जगह शोभायात्राएं निकाली जा रही हैं. ढोल-नगाड़ों की गूंज, गुलाल के रंग और "गणपति बप्पा मोरया" के जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो उठा है. खासकर मुंबई के "लालबागचा राजा" के विसर्जन में लाखों श्रद्धालु शामिल हुए.

महाराष्ट्र से दिल्ली तक उत्साह

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महाराष्ट्र में गणेशोत्सव की भव्यता का नजारा अलग ही होता है. मुंबई, पुणे और नागपुर की सड़कों पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है. ढोल-ताशों की थाप और नाच-गाने के बीच लोग बप्पा को विदा कर रहे हैं. इसी तरह दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हैदराबाद में भी गणेश विसर्जन की धूम देखने को मिल रही है. हर जगह भक्त अपने आराध्य को हर्ष और भावुकता के साथ विदा कर रहे हैं.

लालबागचा राजा का आकर्षण

मुंबई का सबसे प्रसिद्ध पंडाल "लालबागचा राजा" इस बार भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा. लाखों लोग बप्पा के दर्शन और विसर्जन यात्रा में शामिल होने पहुंचे. भक्तों ने प्रार्थना की कि बप्पा अगले साल फिर जल्दी आएं और सबका जीवन मंगलमय करें.

दस दिनों की भक्ति और उल्लास

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से शुरू हुआ गणेशोत्सव दस दिनों तक धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान घरों और पंडालों में पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए. बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी इस पर्व की खुशी में शामिल रहे.

भावनाओं से जुड़ा पल

विसर्जन का क्षण भक्तों के लिए भावुक होता है. जहां बप्पा को विदा करने का दुख है, वहीं उनके अगले साल आने की आशा भी है. ढोल-नगाड़ों और आतिशबाजी के बीच जब प्रतिमा जल में विसर्जित की जाती है, तो हर जुबां पर यही गूंजता है- "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ."

विसर्जन का धार्मिक महत्व

आपको बता दें कि गणेश प्रतिमा मिट्टी से बनती है और विसर्जन के समय उसी मिट्टी में मिल जाती है. यह जीवन के सत्य की याद दिलाता है कि हर जीव प्रकृति से उत्पन्न होकर अंत में उसी में विलीन हो जाता है. साथ ही, विसर्जन यह संदेश देता है कि बप्पा हमारे दुख, विघ्न और नकारात्मकता को अपने साथ ले जाते हैं और हमें नई ऊर्जा व सकारात्मकता प्रदान करते हैं.


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