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राम भक्तों की 2 लाख ईंटों का होगा अयोध्या मंदिर में इस्तेमाल

प्लिंथ के निर्माण के लिए कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर जंगली कोल्लेगल क्षेत्र में खदानों से काले ग्रेनाइट पत्थरों को भेजा जा रहा है. मिर्जापुर से मूर्तिकला पत्थर और राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से गुलाबी संगमरमर भी लाया जा रहा है.

Updated on: 23 Sep 2021, 01:15 PM

highlights

  • ईंटों पर भगवान राम का नाम लिखा
  • करोड़ों भारतीयों की आस्था का प्रमाण
  • अब राफ्ट के निर्माण का काम हुआ शुरू

अयोध्या:

राम भक्तों द्वारा दी गई और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा तीन दशक लंबे मंदिर आंदोलन के दौरान देश भर से जमा की गई 2 लाख से अधिक ईंटों का इस्तेमाल अब राम जन्मभूमि स्थल पर भव्य मंदिर का निर्माण के लिए किया जाएगा. मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा  के मुताबिक 1989 के 'शिलान्यास' के दौरान कारसेवकों द्वारा राम जन्मभूमि पर एक लाख पत्थर रखे गए थे. कम से कम 2 लाख पुरानी कार्यशाला में रह गए हैं, जिन्हें अब निर्माण स्थल पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा. ईंटों पर भगवान राम का नाम लिखा है और यह करोड़ों भारतीयों की आस्था का प्रमाण है.

नींव के बाद दूसरे चरण का निर्माण काम शुरू
इस बीच राम मंदिर की नींव के पूरा होने के बाद राम जन्मभूमि स्थल पर निर्माण का दूसरा चरण शुरू हो गया है. पहली बार प्लिंथ के निर्माण के लिए कर्नाटक-तमिलनाडु सीमा पर जंगली कोल्लेगल क्षेत्र में खदानों से काले ग्रेनाइट पत्थरों को भेजा जा रहा है. मिर्जापुर से मूर्तिकला पत्थर और राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से गुलाबी संगमरमर भी लाया जा रहा है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक श्री रामजन्मभूमि मंदिर की नींव के निर्माण का काम सोमवार को पूरा हो चुका है. अब इस पर कृत्रिम चट्टाननुमा नींव पर राफ्ट के मजबूत फाउंडेशन का निर्माण जल्द ही शुरू होगा.

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50 दिन में बनेगी राफ्ट
चर्चा है कि मंदिर आंदोलन के शिलापूजन कार्यक्रम के दौरान देश-विदेश में पूजित लाखों की संख्या में राम शिलाओं को नींव का हिस्सा बनाने पर विचार विमर्श हो रहा है. कारण यही है कि इससे मंदिर निर्माण के आंदोलन से जुड़े लाखों राम भक्तों की भावनाओं को समाहित किया जा सकेगा. मंदिर ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्त के मुताबिक लकड़ी के सांचे बनाकर राफ्ट की ढ़लाई होगी, जो नींव के प्लेटफॉर्म पर बनने वाले मुख्य मंदिर को बेहद मजबूती प्रदान करेगी. राफ्ट के फाउंडेशन की मोटाई डेढ़ मीटर की होगी जिसे पूरा करने में करीब 50 दिन लगने का अनुमान है.

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10 नंबर तक राफ्ट का काम होगा पूरा
जानकार बताते हैं कि राफ्ट का काम 10 नवंबर तक पूरा हो जाएगा. उसी के बाद मिर्जापुर के पत्थरों से प्लिंथ का काम शुरू होगा. मंदिर की पत्थरों से बनी प्लिंथ करीब 16फीट ऊंची होगी. प्लिंथ के ऊपर मुख्य मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंशी पहाड़पुर के तराश कर रखे पत्थरों से शुरू हो जाएगा. एक अनुमान है कि मंदिर का निर्माण जिस तरह से तेजी से हो रहा है उससे दिसंबर 2023 में मंदिर के ग्राउंड फ्लोर में रामलला गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे. श्रद्धालु उनके दर्शन करने लगेंगे.