Margshirsha Purnima 2025: 4 या 5 कब रखा जाएगा मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत? नोट कर लें सही तिथि और स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

Margshirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किया गया स्नान-दान और सत्यनारायण व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि का मार्ग खोलने वाला माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पूजा से चंद्र दोष और जीवन की बाधाओं में कमी आती है.

Margshirsha Purnima 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर किया गया स्नान-दान और सत्यनारायण व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति और सुख-समृद्धि का मार्ग खोलने वाला माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पूजा से चंद्र दोष और जीवन की बाधाओं में कमी आती है.

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Akansha Thakur
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Margshirsha Purnima 2025

Margshirsha Purnima 2025

Margshirsha Purnima 2025: हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व होता है. इसे अगहन पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि चंद्रमा की यह पूर्णता धरती के वातावरण में खास सकारात्मक ऊर्जा लेकर आती है. यही वजह है कि यह दिन पूजा-पाठ, दान और धार्मिक कर्मकांड के लिए बेहद शुभ माना जाता है. मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से चंद्र देव और भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान के साथ किया जाता है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन की गई पूजा जीवन की परेशानियों को दूर करती है. इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का छाया भी रहने वाला है. भद्रा के असर के दौरान शुभ कामों में सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. चलिए  आपको बताते हैं इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है और स्नान-दान के शुभ मुहूर्त के बारे में. 

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कब है मार्गशीर्ष पूर्णिमा? 

द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा की तिथि इस बार कल यानी 4 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी और तिथि का समापन 05 दिसंबर की सुबह 04 बजकर 42 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर 2025 यानी गुरुवार को मनाई जाएगी. 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर रहेगा भद्रा का साया 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा का साया सुबह 08 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी. आमतौर पर भद्रा लगने पर शुभ कामों को रोक दिया जाता है क्योंकि पारंपरिक मान्यता में भद्रा काल को अशुभ माना जाता है. लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग होने वाली है. पंचांग के मुताबिक, 04 दिसंबर 2025 को भद्रा तो रहेगी लेकिन उसका असर मृत्युलोक यानी पृथ्वी पर नहीं पड़ेगा. उस दिन भद्रा स्वर्ग लोक में रहेगी. 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 व्रत विधि 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान नारायण की पूजा की जाती है इसलिए इस दिन प्रातःकाल उठकर भगवान का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. इसके बाद ओम नमोः नारायण कहकर भगवान का जाप करें और विधि विधान पूजन करें. पूजा स्थल पर वेदी बनाएं और हवन के लिए उसमे अग्नि जलाएं. हवन करने के बाद भगवान का ध्यान करते हुए उन्हें श्रद्धापूर्वक व्रत पूरा करें. पूरे दिन अन्न का सेवन न करें. जब चंद्रमा निकल जाए तो चंद्र देव की विधि विधान पूजा करें. रात में भगवान नारायण की प्रतिमा के पास ही शयन करें. व्रत के अगले दिन जरुरतमंदों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा देकर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें. 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 स्नान-दान शुभ मुहूर्त (Margshirsha Purnima 2025 Snan Daan Shubh Muhurat) 

मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन स्नान-दान का पहला मुहूर्त सुबह 05 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर सुबह 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. इस दिन सत्यनारायण पूजा का मुहूर्त सुबह 10 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 59 मिनट तक रहेगा. पूर्णिमा के चंद्रदर्शन का समय शाम 04 बजकर 34 मिनट रहेगा. 

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