Margshirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा और तर्पण विधि

Margshirsha Amavasya 2025: ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या का महत्व कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या से कम नहीं होता है. ऐसे में चलिए आपको शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताते हैं.

Margshirsha Amavasya 2025: ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या का महत्व कार्तिक मास में पड़ने वाली अमावस्या से कम नहीं होता है. ऐसे में चलिए आपको शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में बताते हैं.

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Akansha Thakur
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Margshirsha Amavasya 2025

Margshirsha Amavasya 2025

Margshirsha Amavasya 2025:हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत महत्व है क्योंकि इस दिन पितरों का तर्पण और उपासना की जाती है. हर महीने में एक बार आने वाली अमावस्या का गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व होता है. आज यानी 20 नवंबर 2025 को मार्गशीर्ष अमावस्या मनाई जा रही है. इसे मृगशिरा और अगहन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. ज्योतिषियों के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन श्रीहरि और मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. साथ ही अमावस्या इस तिथि को परम शक्तिशाली माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर आज क्या रहेगा स्नान-दान और पूजन का मुहूर्त.

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मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त 

मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 19 नवंबर यानी कल सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर हो चुकी है और तिथि का समापन 20 नवंबर यानी आज दोपहर 12 बजकर 16 मिनट पर होगा. 

मार्गशीर्ष अमावस्या 2025 पूजन मुहूर्त 

मार्गशीर्ष अमावस्या पर आज कई सारे मुहूर्तों का निर्माण होने जा रहा है जिसमें श्रीहरि-माता लक्ष्मी का पूजन हो सकता है. संध्या मुहूर्त सुबह 05 बजकर 28 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 48 मिनट तक. इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 45 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट तक होगा. विजय मुहूर्त दोपहर 01 बजकर 53 मिनट से लेकर 02 बजकर 35 मिनट तक. गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. संध्या मुहूर्त शाम 05 बजकर 26 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.

मार्गशीर्ष अमावस्या पर करें पितृ पूजन 

पितरों को अमावस्या का देवता माना जाता है इसलिए इस तिथि पर किए गए उपाय अत्यंत फलदायी माने जाते हैं. पितरों की तृप्ति के लिए अमावस्या के दिन किसी योग्य ब्राह्माण को विधि-विधान से भोजन कराएं. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और जीवन के कार्यों में आने वाली रुकावटों को दूर करते हैं. यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या अन्य चीजें दान करें.

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