Margashirsha Amavasya 2025: कब मनाई जाएगी मार्गशीर्ष अमावस्या? नोट कर लें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है. इस दिन सन्ना, दान और पूजा से प्रसन्न होकर हमारे पितृ परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

Margashirsha Amavasya 2025: मार्गशीर्ष अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विशेष महत्व है. इस दिन सन्ना, दान और पूजा से प्रसन्न होकर हमारे पितृ परिवार को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.

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Akansha Thakur
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Margashirsha Amavasya 2025

Margashirsha Amavasya 2025

Margashirsha Amavasya 2025: हिंदू धर्म में सालभर में कुल 12 अमावस्या आती हैं जिनमें मार्गशीर्ष अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही पितरों की शांति के लिए तर्पण, पवित्र नदियों में स्नान और जरूरतमंदों को दान करना बेहद शुभ और पुण्य का काम माना जाता है. मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर श्रद्धा से पूजा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार को उन्नति का आशीर्वाद देते हैं. भगवान विष्णु की कृपा से घर-परिवार में सुख-शांति, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है. हालांकि इस बार मार्गशीर्ष अमावस्या को लेकर बहुत असमंजस बना हुआ है. कोई 19 नवंबर तो कोई 20 नवंबर को बता रहा है. ऐसे में आइए आपको अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं.

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कब है मार्गशीर्ष अमावस्या? (Margashirsha Amavasya 2025) 

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल मार्गशीर्ष माह की अमावस्या तिथि 19 नवंबर को सुबह 09 बजकर 43 मिनट से लेकर 20 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 16 मिनट तक रहने वाला है. उदिया तिथि के अनुसार, इस बार 20 नवंबर दिन गुरुवार को मार्गशीर्ष अमावस्या की पूजा की जाएगी.

मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा का शुभ मुहूर्त 

सूर्योदय-सुबह 06 बजकर 48 मिनट

पितरों की पूजा का समय-सुबह 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट

विष्णु पूजा का मुहूर्त-सुबह 05 बजकर 01 मिनट से सुबह 05 बजकर 54 मिनट तक रहेगा.

मार्गशीर्ष अमावस्या पूजा विधि 

मार्गशीर्ष अमावस्या की सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए मंत्रों का जाप करें. घर के पूजन स्थल पर एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. फिर देसी घी का दीप जलाएं. भगवान विष्णु को जल, अक्षत, चंदन, फल, वस्त्र आदि चीजें अर्पित करें. इसके बाद विष्णु जी के मंत्रों का जप करें. विष्णु चालीसा का पाठ करें और भगवान की आरती उतारें. इसके बाद पितरों के तर्पण या उनकी आत्मा की शांति के लिए विधिपूर्वक पूजा करवाएं. 

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