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Kumbh Mela Religious History: सबसे पहला कुंभ का मेला कब और कहा लगा था, जाने इसका धार्मिक इतिहास

Mahakumbh 2025: इस बार प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ 144 वर्षों के बाद लगाने वाला कुंभ मेला है. यूपी सरकार ने इसे भव्य बनाने के लिए खास तैयारियां की हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहला कुंभ मेला कब और कहां लगा था.

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Inna Khosla
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Kumbh Mela Religious History

Kumbh Mela Religious History Photograph: (Social)

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Kumbh Mela Religious History: हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक मेला कुंभ है, इसे विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला भी कहा जाता है. कुंभ की उत्पत्ति और इतिहास पुराणों और पौराणिक कथाओं में पढ़ने को मिलता है. कुंभ अमृत मंथन की कथा से जुड़ा हुआ है जिसमें सतयुग में देवताओं और असुरों के बीच संघर्ष हुआ था. इस बार 144 साल बाद प्रयागराज में महाकुंभ मेला लगेगा. 13 जनवरी 2025 से लेकर 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन तक ये मेला चलेगा. कुंभ मेले का धार्मिक इतिहास क्या है आइए जानते हैं. 

पहला कुंभ मेला कब और कहां लगा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार कुंभ मेले का आरंभ अमृत मंथन की घटना से हुआ माना जाता है. समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत का कलश (कुंभ) निकला तो देवताओं और असुरों के बीच इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष हुआ. इस संघर्ष के दौरान अमृत की बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों पर गिरीं प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), हरिद्वार (उत्तराखंड), उज्जैन (मध्य प्रदेश) और नासिक (महाराष्ट्र). इन स्थानों पर गिरे अमृत के कारण ये पवित्र स्थल बन गए और यहां कुंभ मेले का आयोजन शुरू हुआ.

सबसे पहला ऐतिहासिक उल्लेख

कुंभ मेले के आयोजन का ऐतिहासिक प्रमाण हर्षवर्धन के शासनकाल (7वीं शताब्दी) से मिलता है. चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने अपने यात्रा-वृतांत में प्रयागराज में आयोजित एक विशाल धार्मिक सभा का वर्णन किया है जो कुंभ मेला हो सकता है. यह मेला 12 वर्षों के चक्र के आधार पर आयोजित होता था. कुंभ मेले का स्पष्ट उल्लेख और व्यवस्थित आयोजन का सबसे पुराना प्रमाण प्रयागराज (इलाहाबाद) से ही जुड़ा है. हरिद्वार और अन्य स्थानों पर इसके आयोजन का क्रम धीरे-धीरे शुरू हुआ.

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कुंभ मेला ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर आयोजित होता है. ये आयोजन तब होता है जब सूर्य, चंद्रमा, और बृहस्पति ग्रहों की विशेष स्थिति बनती है. प्रयागराज में माघ मास में गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम पर कुंभ का मेला लगता है. हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर और नासिक में गोदावरी नदी के तट पर कुंभ लगता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुंभ का आरंभ सतयुग में हुआ था. हालाँकि, इसके ऐतिहासिक प्रमाण गुप्त काल और हर्षवर्धन के समय से अधिक स्पष्ट होते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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