Mahakumbh 2025 Khappar Tapasya: महाकुंभ 2025 के पावन अवसर पर वैष्णव परंपरा के 350 साधक सबसे कठिन खप्पर तपस्या करते हैं. यह विशेष साधना वसंत पंचमी से आरंभ होती है जिसमें साधक अपने कठोर तप से आत्मशुद्धि और ईश्वरीय के लिए तप करते हैं. 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ में एक से बढ़कर एक इस तरह के नजारे दिखते हैं. वैसे आपको बता दें कि बसंत पंचमी के बाद नागा साधुओं का महाकुंभ क्षेत्र से प्रस्थान शुरू हो जाता है.
क्या है खप्पर तपस्या? (What is skull penance?)
खप्पर तपस्या एक अत्यंत कठिन और कठोर साधना है, जिसमें साधक एक विशेष प्रकार के पात्र (खप्पर) में ही अपना भोजन ग्रहण करते हैं और निरंतर धूना तापकर साधना करते हैं. यह वैष्णव और संन्यासी परंपरा में गहरी भक्ति और आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है.
वसंत पंचमी से धूना तापना प्रारंभ (Dhuna heating starts from Vasant Panchami)
खप्पर तपस्या (khappar tapasya) के साथ ही वसंत पंचमी के दिन से धूना तापना भी आरंभ हो जाता है. इस अनुष्ठान में साधु-संत अग्नि के सामने बैठकर तपस्या करते हैं, जो आध्यात्मिक उन्नति और आत्मशुद्धि के लिए की जाती है.
तपस्या का महत्व (Importance of penance)
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस कठोर तपस्या से न केवल साधकों को आध्यात्मिक शक्ति मिलती है, बल्कि यह जनकल्याण और विश्वशांति के लिए भी शुभ मानी जाती है. महाकुंभ के दौरान होने वाली यह विशेष साधना श्रद्धालुओं के लिए भी अत्यंत दुर्लभ और पुण्यकारी मानी जाती है.
इस बार महाकुंभ में वैष्णव संप्रदाय के साधक अपनी आध्यात्मिक शक्ति और संयम का परिचय देते हुए इस कठिन तपस्या (khappar tapasya) को संपन्न करेंगे, जिससे संपूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत रहेगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)