कुंभ मेले में स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा करने जाएगी केंद्रीय टीम
हरिद्वार में 1 अप्रैल से शुरू होने वाले कुंभ मेले में चिकित्सा देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की समीक्षा करने एक केंद्रीय टीम जाएगी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी.
highlights
- हरिद्वार में 1 अप्रैल से शुरू होगा कुंभ मेला
- एक महीने तक चलना है हरिद्वार कुंभ मेला
- स्वास्थ्य उपायों की समीक्षा करने जाएगी टीम
हरिद्वार:
हरिद्वार में 1 अप्रैल से शुरू होने वाले कुंभ मेले में चिकित्सा देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की समीक्षा करने एक केंद्रीय टीम जाएगी. स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को यह जानकारी दी. मंत्रालय ने कहा कि टीम में नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के अधिकारी शामिल होंगे और इसके निदेशक सुरजीत कुमार सिंह होंगे. जैसा कि केंद्र द्वारा बताया गया है, टीम कुंभ के दौरान कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिए निवारक उपायों के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी कुंभ मेले के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के कार्यान्वयन की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करेगी.
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कुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल यानी 30 दिनों तक चलेगा
केंद्रीय टीम एक महीने पहले अपनी यात्रा के दौरान राज्य को दी गई अपने क्षेत्र स्तर की सिफारिशों के कार्यान्वयन की भी समीक्षा करेगी. मंत्रालय ने कहा, 'सुरजीत कुमार सिंह के नेतृत्व वाली एक उच्चस्तरीय केंद्रीय टीम और कुंभ मेले के लिए चिकित्सा देखभाल और सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था की समीक्षा के लिए हरिद्वार में एनसीडीसी के वरिष्ठ अधिकारियों को शामिल किया गया है.' बता दें कि उत्तराखंड सरकार के अनुसार, यह कुंभ मेला 1 से 30 अप्रैल यानी 30 दिनों तक चलेगा. इससे पहले हरिद्वार में 14 जनवरी से 28 अप्रैल के बीच 2010 में आयोजित किया गया था.
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हरिद्वार में कुंभ स्नान का है खास महत्व
कुंभ मेला 12 साल बाद आयोजित किया जाता है. हरिद्वार में कुंभ स्नान का भी खास महत्व है. हरिद्वार में कुंभ का आयोजन हर की पौड़ी गंगा किनारे आयोजित किया जाता है. मान्यता है कि कुंभ स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. हरिद्वार सबसे पवित्र धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है. हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का विशेष महत्व बताया गया है. वहीं अगर आप कुंभ के दौरान होने वाले शाही स्नान के दिन स्नान करते हैं तो ऐसी मान्यता है कि व्यक्ति को अमरत्व के समान पुण्य की प्राप्ति होती है, शरीर और आत्मा शुद्ध हो जाती है, रोग विकार समाप्त हो जाता है. वहीं साधु-संतों को अपने तपोकर्मों का विशिष्ट फल मिलता है.
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शाही स्नान कुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण
शाही स्नान करने जाते समय साधु संत अपनी अपनी परंपरा अनुसार हाथी या घोड़े पर सवार होकर बैंड बाजे के साथ या फिर राजसी पालकी में निकलते हैं. आगे नागाओं की फौज होती है और पीछे महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं. शाही स्नान कुंभ का सबसे बड़ा आकर्षण होता है और पवित्र स्नान के बाद साधु-संत आसपास के मंदिरों के दर्शन कर अपने मूल स्थान पर लौट जाते हैं.
(इनपुट - आईएएनएस)
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