इस साल कौन सा जन्मदिन मना रहे हैं श्री कृष्णा, आज पूजा के लिए मिलेंगे मात्र 44 मिनट

Janmashtami 2025: आम आदमी के घर से लेकर बांके बिहारी मंदिर तक आज हर जगह जन्माष्टमी की धूम है. हर साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है. भगवान कृष्ण का प्राकट्य रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.

Janmashtami 2025: आम आदमी के घर से लेकर बांके बिहारी मंदिर तक आज हर जगह जन्माष्टमी की धूम है. हर साल भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाता है. भगवान कृष्ण का प्राकट्य रोहिणी नक्षत्र में हुआ था.

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Nidhi Sharma
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Janmashtami 2025:जन्माष्टमी पर भक्त व्रत उपवास रखकर श्रीकृष्ण की विशेष प्रार्थना करते हैं. मान्यता हैं कि श्रीकृष्ण की आराधना से संतान प्राप्ति, दीर्घायु और सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है. इसके अलावा जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है, वो भी इस दिन विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं. ज्योतिषविद कहते हैं कि भक्तों को मनोकामनाओं के आधार पर कृष्ण की मूर्ति का चुनाव करना चाहिए और उसकी उपासना करनी चाहिए. जन्माष्टमी पर कृष्ण के बाल स्वरूप की स्थापना की जाती है. आज जन्माष्टमी पर हम भक्तों को कृष्ण जी के जन्मदिन के बारे में बताएंगे. 

कौन सा जन्मदिन

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इस साल कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव है. इस दिन भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और भगवान के बाल स्वरूप, लड्डू गोपाल की विशेष पूजा करते हैं. लड्डू गोपल का जन्म मध्यरात्रि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इसलिए बाल गोपाल का जन्म रात में कराया जाता है और फिर पंचामृत से स्नान कराया जाता है. लड्डू गोपाल का स्नान कराते टाइम आप शंख से जल अर्पण करें और भगवान की प्रतिमा को जमीन पर ना रखें. इसके साथ ही स्नान का जल नाली में ना बहाएं. इसे स्वयं ग्रहण करें, घर में छिड़कें या तुलसी के गमले में डालें. 

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पूजा का शुभ मुहूर्त

इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को देर रात (16-17 की दरमियानी रात) 12.04 बजे से रात 12.45 तक रहेगा. इस दौरान कान्हा की पूजा करने के लिए आपको करीब 43 मिनट का समय मिलेगा. इसी शुभ मुहूर्त में आपको कान्हा का जन्म कराने के बाद उनका पंचामृत स्नान कराना होगा.

इन चीजों का लगाएं भोग

जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत जरूर अर्पित करें. उसमें तुलसी दल भी जरूर डालें. मेवा, माखन और मिसरी का भोग भी लगाएं. कहीं-कहीं धनिये की पंजीरी भी अर्पित की जाती है. इसके अलावा भी कई पूर्ण सात्विक भोग होते हैं जिसमें तमाम तरह के व्यंजन श्री कृष्ण को अर्पित किए जाते हैं.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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