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krishna janmashtami 2025
Janmashtami 2025:पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है. भाद्रपद में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर ही भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन अगर आप तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखते हैं, तो इससे आपको शुभ परिणाम देखने को मिल सकते हैं. भगवान विष्णु को तुलसी दल अति प्रिय हैं. वहीं भगवान श्रीकृष्ण प्रभु श्रीहरि के आठवें अवतार हैं. ऐसे में उनकी पूजा में भी तुलसी दल का इस्तेमाल करना बहुत ही शुभ माना जाता है. आप जन्माष्टमी की शाम तुलसी से जुड़े ये काम कर सकते है. इससे आपके ऊपर भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा बनी रहती है.
कान्हा जी की कृपा
जन्माष्टमी की शाम को तुलसी के पास शुद्ध देसी घी का दीपक जरूर जलाएं. इसके बाद तुलसी की 7 बार परिक्रमा करें और सुख-समृद्धि की कामना करें. साथ ही तुलसी माता के मंत्रों का जप व आरती करें. ऐसा करने से साधक पर तुलसी जी के साथ-साथ प्रभु श्रीहरि की कृपा भी बनी रहती है.
इन मंत्रों का जप
तुलसी स्तुति मंत्र -
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये..
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी.
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया..
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्.
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया..
तुलसी नामाष्टक मंत्र -
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी.
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी..
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम.
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता.
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जरूर करें ये काम
जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण को भोग लगाते समय तुलसी दल का उपयोग जरूर करें, क्योंकि तुलसी के बिना कान्हा जी का भोग अधूरा माना गया है. तुलसी अर्पित करते समय "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जप भी करें.
इन नियमों का ध्यान
तुलसी से जुड़े नियमों का ध्यान भी जरूर रखना चाहिए, ताकि आपको पूजा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके. इस बात का खासतौर से ध्यान रखें कि रविवार या एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही तुलसी में जल अर्पित करना चाहिए.
सूर्यास्त के बाद भी तुलसी के पत्ते तोड़ने से बचना चाहिए. इसके बात का भी ध्यान रखें कि तुलसी को कभी भी नाखून की मदद से नहीं तोड़ना चाहिए. ऐसे में जन्माष्टमी के दिन इन सभी नियमों का ध्यान जरूर रखें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)