जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा शुरू, जानिए मंदिर से जुड़े ये खास रहस्य
देव स्नान के बाद खट्टा खा लेने के कारण बीमार पड़ गए भगवान जगन्नाथ अब स्वस्थ होकर अपने एकांतवास से बाहर आ गए है।
नई दिल्ली:
देव स्नान के बाद खट्टा खा लेने के कारण बीमार पड़ गए भगवान जगन्नाथ अब स्वस्थ होकर अपने एकांतवास से बाहर आ गए है।
मौसी के घर (गुड़चा मंदिर) जाने के लिए भगवान जगन्नाथ, अपने भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा पर निकल चुके है।
माना जाता है कि भगवान के साथ निकले 141 रथों को खींचने के पौराणिक महत्व होते है। इन विशाल रथों को सैंकड़ों लोग खींचते हैं।
इस दौरान भगवान जगन्नाथ खुद मंदिर से बाहर निकल कर भक्तों को दर्शन देते है। इसलिए देश-विदेश से लोग पुरी पहुंचते है।
ब्रम्हापुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण और स्कंद पुराण में कहा गया है कि जगन्नाथ यात्रा का रथ खींचने का सौभाग्य पाने वाले व्यक्ति पूर्ण अध्यात्मिक शरीर को प्राप्त होता है।
वह जन्म, मृत्यु, जरा और व्याधि आदि से मुक्त हो जाता है।
जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी खास बातें
- आमतौर पर झंडा हवा की दिशा में लगराता है, लेकिन भगवान जगन्नाथ के यहां ऐसा नहीं होता है। जगन्नाथ मंदिर में झंडा हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
- जगन्नाथ मंदिर के ऊपर एक सुदर्शन चक्र लगा हुआ है। इसकी खासियत है कि आप किसी भी दिशा में खड़े हो जाए, यह चक्र हमेशा आपके सामने होता है।
- मंदिर की रसोई में सात बर्तन को एक दूसरे के ऊपर रखकर प्रसाद बनाया जाता है। इस दौरान सबसे ऊपर रखे बर्तन का पकवान पहले पकता है फिर ऊपर से नीचे की तरफ से एक के बाद प्रसाद पकता है।
- दिन के किसी भी समय में मंदिर के मुख्य शिखर की परछाई नही दिखाई देती है।
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