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Why we do not eat rice on Ekadashi know here scientific-reasons and religious reason Photograph: (social media)
Ekadash: एकादशी का हिंदू धर्म में बड़ा महत्व है. इस दिन विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई भक्त व्रत भी रखते हैं. वैसे तो एकादशी पर खाने-पीने पर कोई रोक नहीं है, लेकिन सनातन धर्म में एकादशी के दिन चावल खाना सख्त मना है. अक्सर, घर के बड़े-बुजुर्ग एकादशी के दिन चावल खाने से मना करते हैं, ऐसे में कई बार लोगों के मन में सवाल आता है कि आखिर ऐसा नियम क्यों है? चावल तो पूरी तरह से शाकाहारी है, फिर एकादशी के दिन इसे खाने से मना क्यों किया जाता है? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल आते हैं, तो आइए इस आर्टिकल में हम आपको इसका जवाब देते हैं और बताते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण है.
एकादशी पर चावल न खाने के पीछे क्या है धार्मिक कारण?
एकादशी पर चावल खाने के लिए मना क्यों किया जाता है? अगर आप भी इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं, तो बिलकुल सही जगह पर हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन चावल खाने से इंसान योनि से च्युत होकर उसको अगला जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में मिलता है.
विष्णु पुराण में जिक्र किया गया है कि एकादशी के दिन चावल खाने से पुण्य फल की प्राप्ति नहीं होती है, क्योंकि चावल को हविष्य अन्न (देवताओं का भोजन) कहा जाता है. यही कारण है कि देवी-देवताओं के सम्मान में एकादशी तिथि पर चावल का सेवन करना वर्जित है.
एकादशी के दिन चावल न खाने का क्या है वैज्ञानिक कारण?
विज्ञान के अनुसार, चावल में पानी की मात्रा अधिक पाई जाती है।.पानी पर चंद्रमा का अधिक प्रभाव होता है. एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से मन चंचल हो सकता है, जिसकी वजह से आपका ध्यान पूजा-अर्चना में नहीं लग पाएगा. यही वजह है कि इस दिन चावल खाने के लिए मना किया जाता है.
19 अगस्त को है अजा एकादशी
19 अगस्त को अजा एकादशी है, जिसका सनातन धर्म में बड़ा महत्व है. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को भक्त व्रत और पूजा करके भगवान विष्णु को प्रसन्न करते हैं. पद्म पुराण में भी अजा एकादशी के महात्म्य का वर्णन किया गया है. इस दिन व्रत रखने और लक्ष्मी नारायण भगवान की सच्चे मन से पूजा करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.
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