क्या है जन्माष्टमी की सही पूजा विधि, जानिए पूजा मंत्र और सही विधि
मथुरा से लेकर गोकुल, वृंदावन सहित सभी प्रमुख गांवों और शहरों में कान्हा का जन्म धुमधाम से मनाए जाने की तैयारी जोरों पर चल रही है. जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्स के दौरान सबसे पहले स्तुति की जाएगी.
highlights
- शंखध्वनि के साथ कान्हा का किया जाएगा अभिषेक
- झूले में भी झुलाए जाएंगे बाल गोपाल
नई दिल्ली:
मथुरा से लेकर गोकुल, वृंदावन सहित सभी प्रमुख गांवों और शहरों में कान्हा का जन्म धुमधाम से मनाए जाने की तैयारी जोरों पर चल रही है. जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान श्रीकृष्ण के प्राकट्योत्स के दौरान सबसे पहले स्तुति की जाएगी. इसके साथ ही अभिषेक, पूजा और आरती का क्रम चलेगा. श्रद्धालु हर वर्ष उत्साह से यह त्योहार मनाते हैं. लेकिन इस बार कुछ खास है. दरअसल, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास में शुल्क पक्ष की अष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस साल जन्माष्टमी पर विशेष संयोग बन रहा है. इस बार 27 साल बाद यह पहला मौका है जब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व एक ही दिन मनाया जाएगा. इस बार भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 11:27 बजे से 30 अगस्त की रात 1.59 बजे तक ही रहेगी. इसके बाद 30 अगस्त की सुबह 6:38 मिनट से 31 अगस्त सुबह 9.43 बजे तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा.
पूजा मंत्र और सही विधि
सुबह उठकर जन्माष्टमी के दिन पहले स्नान करें. इसके बाद जल सूर्य को चढ़ाए. अपने इष्ट देवता को नमन करें. फिर इसके बाद उपवास धारण करें. इस दिन व्रत का संकल्प लेते हुए पूरे दिन उपवास रखे और प्रभु कृष्ण का स्मरण करें. हां, प्रभु का स्मरण करते हुए अपने मन को शांत रखें. इस दिन खुद कलह से दूर रहें. भगवान कृष्ण की प्रतिमा या फिर चित्र को सजाए. प्रभु के गुणगान में भजन कीर्तन करते रहें. 'प्रणमे देव जननी त्वया जातस्तु वामनः , वसुदेवात तथा कृष्णो नमस्तुभ्यं नमो नमः . इस मंत्र को आप स्तुति करते रहें.
यह भी पढ़ें: जन्माष्टमी: मथुरा से गोकुल तक सज गए सारे देवालय, जन्मोत्सव की ऐसी है तैयारी
भगवान का भोग बना ले. मिठाई, फल, दूध-दही, मक्खन आदि बनाकर पूजा स्थल के पास रखें. इसके बाद रात में एक बार फिर से आप स्नान कर साफ कपड़े पहनकर पूजा के लिए तैयार हो जाए. पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें. इस अवसर पर पंचामृत से बाल गोपाल को स्नान कराए. वस्त्र धारण कराए. तिलक लगाए. पुष्प चढ़ाए. दीपक और धूप से आरती उतारें. इसके बाद भगवान को भोग अर्पित करें. भोग में तुलसी पत्र डाले. तुलसी भगवान विष्णु को बहुत पसंद है. इसलिए भोग में तुलसी पत्र डाले. इसके बाद ठाकुर जी के नाम का हवन करें और आरती करें. इसी के साथ शंख बजाकर भगवान के पूजा का समापन्न करें.
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