Sanatan dharma: सनातन धर्म में क्या हैं पति-पत्नी के अधिकार और कर्तव्य

Sanatan dharma: सनातन धर्म में पति-पत्नी के रिश्ते का बहुत महत्व है. यह एक पवित्र, सामाजिक और आध्यात्मिक बंधन है जो दो आत्माओं को एक साथ बांधता है.

Sanatan dharma: सनातन धर्म में पति-पत्नी के रिश्ते का बहुत महत्व है. यह एक पवित्र, सामाजिक और आध्यात्मिक बंधन है जो दो आत्माओं को एक साथ बांधता है.

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Inna Khosla
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Rights and duties of husband and wife

Rights and duties of husband and wife( Photo Credit : social media)

Sanatan dharma: सनातन धर्म में पति-पत्नी का रिश्ता अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह एक पवित्र, सामाजिक, और आध्यात्मिक बंधन है जो दो आत्माओं को एक साथ बांधता है. पति-पत्नी का रिश्ता संतान प्राप्ति, साथीत्व, समरसता, और सहयोग के मूल्यों पर आधारित है. पति-पत्नी का रिश्ता संगीत के तुलनात्मक ध्वनि की तरह है, जो अन्तर्भाव और समझ के बिना अधूरा होता है. इस रिश्ते में विश्वास, सम्मान, और साझेदारी की भावना होती है, जो जीवन को समृद्धि और संतोष से भर देती है. पति-पत्नी का रिश्ता समाज में संरक्षित और सम्मानित होता है. यह एक परम्परागत प्रणाली का हिस्सा है जो परिवार को संबंधों के माध्यम से जोड़ता है और समाज को स्थिरता प्रदान करता है. सनातन धर्म में पति-पत्नी का रिश्ता एक पवित्र और श्रेष्ठतम रिश्ता माना जाता है जो आत्मा की उन्नति के मार्ग में सहायक होता है. यह रिश्ता धार्मिकता, प्रेम, और सेवाभाव के साथ भरा होता है, जो जीवन को सफल बनाने में मदद करता है.

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पति के अधिकार:

सम्मान और देखभाल: पत्नी को पति का सम्मान करना और उसकी देखभाल करना चाहिए. इसका मतलब है कि पत्नी को पति के विचारों और भावनाओं का सम्मान करना चाहिए, उसकी बातों को ध्यान से सुनना चाहिए, और उसकी जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए.

भोजन, वस्त्र और आश्रय: पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी को भोजन, वस्त्र और आश्रय प्रदान करे. इसका मतलब है कि पत्नी को अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए पति पर निर्भर नहीं रहना चाहिए.

शिक्षा और स्वास्थ्य: पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी की शिक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखे. इसका मतलब है कि पत्नी को शिक्षा प्राप्त करने और स्वस्थ रहने का अधिकार है.

धार्मिक और सामाजिक कार्य: पति को अपनी पत्नी को धार्मिक और सामाजिक कार्यों में भाग लेने की अनुमति देनी चाहिए. इसका मतलब है कि पत्नी को अपनी धार्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता का अधिकार है.

प्रेम और स्नेह: पति का कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी के साथ प्रेम और स्नेह का व्यवहार करे. इसका मतलब है कि पत्नी को पति से प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है.

पत्नी के अधिकार:

सम्मान और आज्ञा: पत्नी का अधिकार है कि पति उसे सम्मान करे और उसकी आज्ञा का पालन करे. इसका मतलब है कि पति को अपनी पत्नी को एक समान समझना चाहिए और उसकी बातों को महत्व देना चाहिए.

प्रेम और स्नेह: पत्नी का अधिकार है कि पति उसके साथ प्रेम और स्नेह का व्यवहार करे. इसका मतलब है कि पत्नी को पति से प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है.

समानता: पत्नी का अधिकार है कि पति उसके साथ समानता का व्यवहार करे. इसका मतलब है कि पत्नी को पति के साथ सभी मामलों में समान अधिकार और अवसर प्राप्त होने चाहिए.

परिवार का सम्मान: पत्नी का अधिकार है कि पति उसके परिवार का सम्मान करे. इसका मतलब है कि पति को अपनी पत्नी के परिवार के सदस्यों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए.

परिवार की देखभाल और बच्चों की परवरिश: पत्नी का अधिकार है कि पति उसके साथ मिलकर परिवार की देखभाल करे और बच्चों की परवरिश करे. इसका मतलब है कि पत्नी को पति से परिवार और बच्चों की देखभाल में मदद पाने का अधिकार है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

Sanatan Dharma rights and duties of husband and wife
      
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