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Vishwakarma Puja 2022 Puja Vidhi, Mantra aur Aarti: भगवान विश्वकर्मा की ये सरल पूजा विधि और मंत्रों का जाप, काटेगा आपके दुश्मनों का हर षड़यंत्र

Vishwakarma Puja 2022 Puja Vidhi, Mantra aur Aarti: मान्यता है कि इससे भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होकर आपके कारोबार में वृद्धि और तरक्की का आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं भगवान विश्वकर्मा की सरल पूजा विधि, मंत्र और आरती के बारे में.

Updated on: 17 Sep 2022, 04:47 PM

नई दिल्ली :

Vishwakarma Puja 2022 Puja Vidhi, Mantra aur Aarti: हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के सृजनकर्ता और प्रथम शिल्पकार के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि प्राचीन काल में देवी-देवताओं के औजार, अस्त्र-शस्त्रों और भवनों का निर्माण भी भगवान विश्वकर्मा द्वारा किया गया था. आज 17 सितंबर 2022 को भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव यानी विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है. शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान विश्वकर्मा और अपने काम के औजारों, मशीनों, उपकरणों आदि की पूजा का विधान होता है. मान्यता है कि इससे भगवान विश्वकर्मा प्रसन्न होकर आपके कारोबार में वृद्धि और तरक्की का आशीर्वाद देते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं भगवान विश्वकर्मा की सरल पूजा विधि, मंत्र और आरती के बारे में. 

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विश्वकर्मा पूजा 2022 विधि (Vishwakarma Puja 2022 Vidhi)  
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. 
- फिर भगवान विश्वकर्मा की पूजा करें.
- पूजा में हल्दी, अक्षत, फूल, पान, लौंग, सुपारी, मिठाई, फल, दीप और रक्षासूत्र शामिल करें.
- पूजा में घर में रखा लोहे का सामान और मशीनों को शामिल करें.
- पूजा करने वाली चीजों पर हल्दी और चावल लगाएं.
- इसके बाद पूजा में रखे कलश को हल्दी लगा कर रक्षासूत्र बांधे.
- इसके बाद पूजा शुरु करें और मंत्रों का उच्चारण करते रहें.
- पूजा खत्म होने के बाद लोगों में प्रसाद बांट दें.

विश्वकर्मा पूजा 2022 मंत्र (Vishwakarma Puja 2022 Mantra) 
-  'ॐ आधार शक्तपे नम: और ॐ कूमयि नम:' 
- 'ॐ अनन्तम नम:'
- 'पृथिव्यै नम:' 
- रुद्राक्ष की माला से जप करना अच्छा रहता है.

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विश्वकर्मा पूजा 2022 आरती (Vishwakarma Puja 2022 Aarti)  
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का,सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर,दूर दुख कीना॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥