Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या का महास्नान 29 जनवरी को किया जाएगा. इस बार मौनी अमावस्या पर विशेष त्रिग्रही योग का अद्भुत संयोग बन रहा है. ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन पाप मुक्ति और सिद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध के एक साथ होने से त्रिग्रही योग बन रहा है. इसके साथ ही शिववास, सिद्धि, वृषभ गुरु और वज्र योग भी बन रहे हैं जो इसे और अधिक खास बना देते हैं. श्रवण नक्षत्र के दौरान महास्नान अमृत स्नान के समान माना जाता है.
त्रिग्रही योग का महत्व
ज्योतिष के अनुसार मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध के संयोग से बनने वाला त्रिग्रही योग जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है. ये योग सिद्धि और सफलता के लिए शुभ है. मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर इन दुर्लभ योगों का संयोग स्नान और दान के महत्व को और बढ़ा देता है.
काशी में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
वाराणसी के गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं. मौनी अमावस्या से पहले ही घाटों पर भक्तों का जनसागर उमड़ पड़ा है. हर तरफ श्रद्धा और आस्था का माहौल है और प्रशासन ने भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं. घाटों पर बेरिकेटिंग की गई है और गंगा स्नान (Ganga Snan) के लिए लंबी कतारें देखी जा रही हैं. माना जा रहा है कि इस मौनी अमावस्या पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी.
मौन व्रत और स्नान का महत्व
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) के अमृत स्नान के दिन मौन रहकर गंगा स्नान और दान-पुण्य करने से व्यक्ति के सभी पापों का क्षय होता है और जीवन धन्य हो जाता है. धर्म शास्त्रों के अनुसार गंगा स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और व्यक्ति आध्यात्मिक विकास की ओर अग्रसर होता है. वाराणसी के घाटों पर आस्था और भक्ति की अद्भुत छटा भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को विश्वभर में एक नई ऊंचाई पर ले जा रही है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)