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आज है काल भैरव जयंती, जानिए क्या है इसका महत्व

भैरव को शिवजी का गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है. कालभैरव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भैरव की उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप में बेहद प्रचलित हैं.

Updated on: 27 Nov 2021, 07:33 AM

highlights

  • शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक
  • मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था
  • इस दिन व्रत व पूजन करने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं 


 

नई दिल्ली:

आज काल भैरव जयंती है. प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है. मान्यता के अनुसार, शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है. माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कालभैरव का अवतार लिया था. इसलिए इस पर्व को कालभैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है. यह तिथि पूर्णतया भगवान काल भैरव को समर्पित होती है. इस दिन विधि-विधान के साथ भगवान शिव के रौद्र रूप भगवान भैरव की पूजा करने का विधान है. मान्यता है कि इस दिन व्रत व पूजन करने से भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं और हर संकट से अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. आइए जानते हैं कि कालभैरव का व्रत रखने के क्या फायदे हैं और इसकी क्या पूरी विधि है. 

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कालभैरव का व्रत रखने के फायदे-

भैरव को शिवजी का गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है. कालभैरव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. भैरव की उपासना बटुक भैरव और काल भैरव के रूप में बेहद प्रचलित हैं. बात अदर तंत्र साधना की करें तो इसमें भैरव के आठ स्वरूप की उपासना की बात कही गई है. असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव इसके रूप हैं.. इस दिन व्रत रखने वाले साधक को पूरा दिन 'ओम कालभैरवाय नम:' का जाप करना चाहिए.

व्रत की पूरी विधि-

-शिव की आराधना से पहले हमेशा भैरव उपासना का विधान होता है. कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की अराधना करनी चाहिए.

-रात को माता पार्वती और भगवान शिव की कथा सुनें

-कथा सुन जागरण का आयोजन करना चाहिए

 

काल भैरव के पूजन से भूत-प्रेत बाधा का नाश

काल भैरव को भगवान शिव के रौद्र रूप का अवतार माना जाता है. मान्यता है कि वो स्वयं काल स्वरूप हैं. इनके पूजन से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है. पौराणिक कथा के अनुसार मार्गशीर्ष या अगहन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव का अवतरण हुआ था. इस दिन को काल भैरव जंयति के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन काल भैरव के पूजन से तंत्र, मंत्र, भूत-प्रेत बाधा का नाश होता है. इस दिन व्रत करके विधि पूर्वक काल भैरव का पूजन करना चाहिए.