Mauni Amavasya Daan: पितर तर्पण के लिए मौनी अमावस्या का शास्त्रों में विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन स्नान के बाद दान करने से कहा जाता है कि जन्म-जन्मांतर के पापों से छुटकारा मिल जाता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार, मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और पितरों के निमित्त दान करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है.
मौनी अमावस्या के दिन स्नान का महत्व
मौनी अमावस्या पर गंगा, यमुना या किसी पवित्र नदी में स्नान करना आत्म-शुद्धि का प्रतीक है. ये दिन आत्मचिंतन और पितरों की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन मौन रहकर स्नान करने से व्यक्ति के मन और आत्मा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
मौनी अमावस्या के दिन दान का महत्व
पितरों को प्रसन्न करने के लिए मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद दान करना अनिवार्य माना गया है. शास्त्रों के अनुसार ये दान सीधे पितरों तक पहुंचता है और उन्हें तृप्त करता है. दान की वस्तुओं में तिल, चावल, गुड़, आटा, कंबल, वस्त्र, फल, और अन्न आप कुछ भी दान कर सकते हैं. धार्मिक मान्यता है कि इन चीजों को जरूरतमंदों, ब्राह्मणों या साधु-संतों को दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है.
मौनी अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करना भी अत्यंत लाभकारी माना गया है. धर्मग्रंथों के अनुसार मौनी अमावस्या पर स्नान और दान करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पापों का क्षय होता है. मन और आत्मा की शुद्धि, पितरों की शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए मौनी अमावस्या का दिन शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ बताया गया है. इस मौनी अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने के लिए स्नान के बाद श्रद्धा और भक्ति के साथ दान करें.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)