Swan Somvar 2020 : कुंवारी लड़कियों के लिए क्यों खास होता है सावन मास
Swan Somvar 2020 : भगवान शिव (Lord Shiva) का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है. भोले शंकर के अनुष्ठानों और भजन पूजन के लिहाज से यह महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
नई दिल्ली:
Swan Somvar 2020 : भगवान शिव (Lord Shiva) का प्रिय महीना सावन शुरू हो चुका है. भोले शंकर के अनुष्ठानों और भजन पूजन के लिहाज से यह महीना काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने में कोई सावन के सोमवार (Sawan Somvar) का व्रत रखता है तो कोई 16 सोमवार और शिव में रम जाता है. कई लोग कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra) पर भी जाते हैं, हालांकि कोरोना वायरस के चलते इस बार कांवड़ यात्रा पर रोक है. इस दिन स्त्रियां तथा विशेष रूप से कुंवारी लड़कियां (Unmarried Girls) अपने सुखी पारिवारिक जीवन की कामना करते हुए भगवान शिव का व्रत पूजन करती हैं. सावन में भोलेनाथ का रुद्राभिषेक भी किया जाता है.
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के सोमवार का महत्व कुंवारी लड़कियों के लिए ज्यादा होता है. ऐसा माना जाता है कि कुंवारी लड़कियां सावन के सोमवार का व्रत रखें तो उन्हें मनचाहा पति मिलता है. उन्हें भरा-पूरा परिवार और सुखद सांसारिक सुख का फल मिलता है. आपको बताते हैं कि महिलाएं और कुंवारी लड़कियां शिवलिंग की पूजा कैसे करें.
सावन के सोमवार को सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें क्योंकि माता पार्वती और भगवान शिव को साफ-सफाई बहुत पसंद है. सफाई करने के बाद स्नान करें. स्नान के पानी में काला तिल या गंगा जल डालकर स्नान करें. स्नान के पश्चात हल्के रंग के कपड़े पहनें. इसके बाद भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा करें. शिव मंदिर पास में न हो तो घर पर मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा-अर्चना करें.
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जल या पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें. इसके बाद धतूरा, भांग बेलपत्र, जनेऊ चढ़ाएं. पूजा के पश्चात स्फटिक की माला ले और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें. एक बात का ध्यान दें कि भगवान शिव को हल्दी और तुलसी के पत्ते कभी न चढ़ाएं. सुहागिन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु के लिए पांच माला का जाप करें और कुंवारी लड़कियां अच्छे पति की कामना के लिए पांच माला का जाप ॐ नमः शिवाय मंत्र के साथ करें.
भगवान शिव की पूजा के समय थाल में 4 या 8 हरी चुड़ियां जरूर रखें. विधि-विधान पूर्वक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. हरी चूड़ियों को माता पार्वती को चढ़ा दें. चढ़ाने के बाद उन चूड़ियों को अपने हाथों में धारण करें. इससे पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है.
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मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से खुश होकर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था. तब से ही सुखी दांपत्य की कामना से सावन में हरियाली तीज मनाने की परंपरा शुरू हुई. सावन का आखिरी दिन श्रावण पूर्णिमा रक्षाबन्धन के रूप में मनाया जाता है. इससे पहले श्रावणी अर्थात जनेऊ बदलने और पितरों को स्मरण करने के रूप में मनाया जाता है. साथ ही एक हेमाद्रि संकल्प नाम से एक कर्मकांड भी संपन्न करते हैं.
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