Mohini Ekadashi 2022: भगवान विष्णु ने चतुराई से ऐसे पिलाया देवताओं को अमृत, असुरों का हुआ अंत
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व (Mohini Ekadashi 2022 Importance) होता है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (Mohini Ekadashi Lord Vishnu) की पूजा-उपासना की जाती है. मोहिनी एकादशी (mohini ekadashi 2022) के पीछे एक पौराणिक कथा है.
नई दिल्ली:
हिंदू धर्म में एकादशी (Mohini ekadashi 2022) का बहुत महत्व होता है. पंचांग के अनुसार, साल के हर महीने में दो एकादशी मनाई जाती है. इस तरह पूरे साल में 24 एकादशी हो जाती है. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व (Mohini Ekadashi 2022 Importance) होता है. इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु (Mohini Ekadashi Lord Vishnu) की पूजा-उपासना की जाती है. हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी का स्मरण, वंदन और पूजन करने से व्रती को अमोघ फलों की प्राप्ति होती है. मोहिनी एकादशी के पीछे एक पौराणिक कथा है. तो, चलिए जान लें वो कथा (Mohini Ekadashi 2022 Vrat Katha) क्या है.
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जब देवासुर संग्राम हुआ था तो उसमें देवताओं को दैत्यों के राजा बलि ने पराजित करके स्वर्ग लोक से निष्कासित कर दिया था. उस समय देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी विष्णु भगवान ने उन्हें क्षीरसागर में तमाम तरह के रत्न होने की जानकारी दी और साथ-साथ ये भी बताया कि समुद्र में अमृत भी छुपा हुआ है. इसलिए, अगर समुद्र मंथन करके अमृत प्राप्त कर लिया जाए तो अन्य संकटों से मुक्ति प्राप्त (Mohini Ekadashi 2022 Vrat) की जा सकती है.
देवराज इंद्र भगवान विष्णु का ये प्रस्ताव लेकर दैत्यराज बलि के पास गए और समुद्र मंथन के लिए राजी कर लिया. वहीं, क्षीर सागर में समुद्र मंथन हुआ जिसमें कुल 14 रत्न प्राप्त हुए. 14वें नंबर पर धन्वंतरी वैद्य अमृत कलश लेकर प्रकट हुए. 14वें नंबर का एक विशेष महत्व ये भी है कि इसमें 5 कामेद्रियां, 5 जननेंद्रिय और 4 अन्य मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार है. इन सभी पर नियंत्रण (mohini ekadashi mantra) आवश्यक है.
समुद्र मंथन से निकलने वाले अमृत को पाने के लिए देवों और असुरों में पुनः संग्राम छिड़ गया. उस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी का अवतार लेकर छल से अमृत देवताओं को पिला दिया जिससे देवता अमर हुए और देवासुर संग्राम का अंत हुआ. जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया था. उसी दिन वैशाख माह की एकादशी तिथि थी. इसलिए इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है.
पौराणिक मान्यता और कथाओं के मुताबिक, जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन किया गया तो उससे अमृत कलश की प्राप्ति हुई. देवता और दानव दोनों ही पक्ष अमृत पान करना चाहते थे. जिसकी वजह से अमृत कलश की प्राप्ति को लेकर देवताओं और असुरों में विवाद छिड़ गया.
विवाद की स्थिति इतनी बढ़ने लगी कि युद्ध की तरफ अग्रसर हो गई. ऐसे में इस विवाद को सुलझाने और देवताओं में अमृत वितरित करने के लिए भगवान विष्णु ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण किया. इसी सुंदर स्त्री का रूप देखकर असुर भी मोहित हो उठे. इसके बाद मोहिनी रूप धारण किए हुए विष्णु जी ने देवताओं को एक कतार में और दानवों को एक कतार में बैठ जाने को कहा और देवताओं को अमृतपान करवा दिया. अमृत पीकर सभी देवता (mohini ekadashi story) अमर हो गए.
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