Shiv Ji Ki Aarti: बस सोमवार के दिन कर लें ये आरती, भगवान शिव भर देंगे खुशियों से आपकी झोली!

Shiv Ji Ki Aarti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन शिव जी की पूजा-अर्चना करते समय उनकी आरती करने और मंत्रों का जाप करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है.

Shiv Ji Ki Aarti: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन शिव जी की पूजा-अर्चना करते समय उनकी आरती करने और मंत्रों का जाप करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है.

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Sushma Pandey
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Shiv Ji Ki Aarti

Shiv Ji Ki Aarti( Photo Credit : NEWS NATION)

Shiv Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन शिव जी की पूजा-अर्चना करने से जातकों को मनचाहा लाभ मिलता है. इसके साथ ही इस दिन  व्रत उपवास भी रखा जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और सुख-समृद्धि, धन में वृद्धि होती है. वहीं हिंदू धर्म में कोई भी पूजा बिना आरती के पूरी नहीं होती. ऐसे में सोमवार के दिन शिव जी की पूजा-अर्चना करते समय उनकी आरती करने और मंत्रों का जाप करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है. आइए यहां पढ़ें शिव जी की पूरी आरती और मंत्र. 

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शिवजी के मंत्र ( (Shiv Ji Ke Mantra)

पंचाक्षरी मंत्र

ॐ नम: शिवाय।

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

लघु महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः

शिव गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र का जाप करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष, राहु केतु तथा शनि की पीड़ा से मुक्ति मिलती है.
।। ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात ।।

भगवान शिव की आरती  (Shiv Ji Ki Aarti in Hindi)

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजी की आरती जो कोई नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥

जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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Source : News Nation Bureau

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