Sawan Special: सावन में भगवान शिव के नाम का जाप करने से कटते हैं संकट, ये हैं शिव के 108 नाम
Sawan Special: 25 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो रहा है. सावन में सोमवार को व्रत रखने व भगवान शिव की पूजा से योग्य जीवनसाथी मिलता है. सावन में लड़कियां सोमवार का व्रत रखती है.
highlights
- 25 जुलाई से शुरू हुआ सावन का महीना
- सावन में शिवभक्ति से मिलते हैं विशेष परिणाम
- 26 जुलाई को है सावन का पहला सोमवार
नई दिल्ली:
कहते हैं सावन में भगवान शिव की अपने भक्तों खास कृपा रहती है, इसलिए सावन माह हमेशा से ही उनके भक्तों के लिए खास होता है. हिंदू कैलेण्डर के अनुसार, 24 जुलाई को आषाढ़ मास का समापन हुआ है और 25 जुलाई से श्रावण मास यानि सावन का महीना शुरू हुआ है. सावन का महीना शिव भक्तों का सबसे प्रिय महीना है. इस बार रविवार, 25 जुलाई को श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इस दिन आयुष्मान योग बना हुआ है. यानि शुभ योग में श्रावण मास का आरंभ हो रहा है. चंद्रमा इस दिन मकर राशि में विराजमान रहेंगे. जहां पर शनि वक्री होकर गोचर कर रहे हैं.
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Sawan Somvar: 26 जुलाई को है सावन का पहला सोमवार
सावन का पहला सोमवार 26 जुलाई को है. हिंदू मान्यता के अनुसार, सावन में सोमवार को व्रत रखने व भगवान शिव की पूजा से योग्य जीवनसाथी मिलता है. सावन में लड़कियां सोमवार का व्रत रखती हैं. सावन माह में सोमवार की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा की जाती है. सावन में भगवान शिव के 108 नामों का जाप करना शुभ माना गया है.
क्या हैं भगवान शिव के 108 नाम?
भगवान शिव के 108 नाम (108 Names of Lord Shiva in Hindi)
1. शिव अर्थात् कल्याण स्वरूप
2. महेश्वर अर्थात् माया के अधीश्वर
3. शम्भू अर्थात् आनंद स्वरूप वाले
4. पिनाकी अर्थात् पिनाक धनुष धारण करने वाले
5. शशिशेखर अर्थात् चंद्रमा धारण करने वाले
6. वामदेव अर्थात् अत्यंत सुंदर स्वरूप वाले
7. विरूपाक्ष अर्थात् विचित्र अथवा तीन आंख वाले
8. कपर्दी अर्थात् जटा धारण करने वाले
9. नीललोहित अर्थात् नीले और लाल रंग वाले
10. शंकर अर्थात् सबका कल्याण करने वाले
11. शूलपाणी अर्थात् हाथ में त्रिशूल धारण करने वाले
12. खटवांगी अर्थात् खटिया का एक पाया रखने वाले
13. विष्णुवल्लभ अर्थात् भगवान विष्णु के अति प्रिय
14. शिपिविष्ट अर्थात् सितुहा में प्रवेश करने वाले
15. अंबिकानाथ अर्थात् देवी भगवती के पति
16. श्रीकण्ठ अर्थात् सुंदर कण्ठ वाले
17. भक्तवत्सल अर्थात् भक्तों को अत्यंत स्नेह करने वाले
18. भव अर्थात् संसार के रूप में प्रकट होने वाले
19. शर्व अर्थात् कष्टों को नष्ट करने वाले
20. त्रिलोकेश अर्थात् तीनों लोकों के स्वामी
21. शितिकण्ठ अर्थात् सफेद कण्ठ वाले
22. शिवाप्रिय अर्थात् पार्वती के प्रिय
23. उग्र अर्थात् अत्यंत उग्र रूप वाले
24. कपाली अर्थात् कपाल धारण करने वाले
25. कामारी अर्थात् कामदेव के शत्रु, अंधकार को हरने वाले
26. सुरसूदन अर्थात् अंधक दैत्य को मारने वाले
27. गंगाधर अर्थात् गंगा को जटाओं में धारण करने वाले
28. ललाटाक्ष अर्थात् माथे पर आंख धारण किए हुए
29. महाकाल अर्थात् कालों के भी काल
30. कृपानिधि अर्थात् करुणा की खान
31. भीम अर्थात् भयंकर या रुद्र रूप वाले
32. परशुहस्त अर्थात् हाथ में फरसा धारण करने वाले
33. मृगपाणी अर्थात् हाथ में हिरण धारण करने वाले
34. जटाधर अर्थात् जटा रखने वाले
35. कैलाशवासी अर्थात् कैलाश पर निवास करने वाले
36. कवची अर्थात् कवच धारण करने वाले
37. कठोर अर्थात् अत्यंत मजबूत देह वाले
38. त्रिपुरांतक अर्थात् त्रिपुरासुर का विनाश करने वाले
39. वृषांक अर्थात् बैल-चिह्न की ध्वजा वाले
40. वृषभारूढ़ अर्थात् बैल पर सवार होने वाले
41. भस्मोद्धूलितविग्रह अर्थात् भस्म लगाने वाले
42. सामप्रिय अर्थात् सामगान से प्रेम करने वाले
43. स्वरमयी अर्थात् सातों स्वरों में निवास करने वाले
44. त्रयीमूर्ति अर्थात् वेद रूपी विग्रह करने वाले
45. अनीश्वर अर्थात् जो स्वयं ही सबके स्वामी है
46. सर्वज्ञ अर्थात् सब कुछ जानने वाले
47. परमात्मा अर्थात् सब आत्माओं में सर्वोच्च
48. सोमसूर्याग्निलोचन अर्थात् चंद्र, सूर्य और अग्निरूपी आंख वाले
49. हवि अर्थात् आहुति रूपी द्रव्य वाले
50. यज्ञमय अर्थात् यज्ञ स्वरूप वाले
51. सोम अर्थात् उमा के सहित रूप वाले
52. पंचवक्त्र अर्थात् पांच मुख वाले
53. सदाशिव अर्थात् नित्य कल्याण रूप वाले
54. विश्वेश्वर अर्थात् विश्व के ईश्वर
55. वीरभद्र अर्थात् वीर तथा शांत स्वरूप वाले
56. गणनाथ अर्थात् गणों के स्वामी
57. प्रजापति अर्थात् प्रजा का पालन- पोषण करने वाले
58. हिरण्यरेता अर्थात् स्वर्ण तेज वाले
59. दुर्धुर्ष अर्थात् किसी से न हारने वाले
60. गिरीश अर्थात् पर्वतों के स्वामी
61. गिरिश्वर अर्थात् कैलाश पर्वत पर रहने वाले
62. अनघ अर्थात् पापरहित या पुण्य आत्मा
63. भुजंगभूषण अर्थात् सांपों व नागों के आभूषण धारण करने वाले
64. भर्ग अर्थात् पापों का नाश करने वाले
65. गिरिधन्वा अर्थात् मेरू पर्वत को धनुष बनाने वाले
66. गिरिप्रिय अर्थात् पर्वत को प्रेम करने वाले
67. कृत्तिवासा अर्थात् गजचर्म पहनने वाले
68. पुराराति अर्थात् पुरों का नाश करने वाले
69. भगवान अर्थात् सर्वसमर्थ ऐश्वर्य संपन्न
70. प्रमथाधिप अर्थात् प्रथम गणों के अधिपति
71. मृत्युंजय अर्थात् मृत्यु को जीतने वाले
72. सूक्ष्मतनु अर्थात् सूक्ष्म शरीर वाले
73. जगद्व्यापी अर्थात् जगत में व्याप्त होकर रहने वाले
74. जगद्गुरू अर्थात् जगत के गुरु
75. व्योमकेश अर्थात् आकाश रूपी बाल वाले
76. महासेनजनक अर्थात् कार्तिकेय के पिता
77. चारुविक्रम अर्थात् सुन्दर पराक्रम वाले
78. रूद्र अर्थात् उग्र रूप वाले
79. भूतपति अर्थात् भूतप्रेत व पंचभूतों के स्वामी
80. स्थाणु अर्थात् स्पंदन रहित कूटस्थ रूप वाले
81. अहिर्बुध्न्य अर्थात् कुण्डलिनी धारण करने वाले
82. दिगम्बर अर्थात् नग्न, आकाश रूपी वस्त्र वाले
83. अष्टमूर्ति अर्थात् आठ रूप वाले
84. अनेकात्मा अर्थात् अनेक आत्मा वाले
85. सात्त्विक अर्थात् सत्व गुण वाले
86. शुद्धविग्रह अर्थात् दिव्यमूर्ति वाले
87. शाश्वत अर्थात् नित्य रहने वाले
88. खण्डपरशु अर्थात् टूटा हुआ फरसा धारण करने वाले
89. अज अर्थात् जन्म रहित
90. पाशविमोचन अर्थात् बंधन से छुड़ाने वाले
91. मृड अर्थात् सुखस्वरूप वाले
92. पशुपति अर्थात् पशुओं के स्वामी
93. देव अर्थात् स्वयं प्रकाश रूप
94. महादेव अर्थात् देवों के देव
95. अव्यय अर्थात् खर्च होने पर भी न घटने वाले
96. हरि अर्थात् विष्णु समरूपी
97 .पूषदन्तभित अर्थात् पूषा के दांत उखाड़ने वाले
98. अव्यग्र अर्थात् व्यथित न होने वाले
99. दक्षाध्वरहर अर्थात् दक्ष के यज्ञ का नाश करने वाले
100. हर अर्थात् पापों को हरने वाले
101. भगनेत्रभिद् अर्थात् भग देवता की आंख फोड़ने वाले
102. अव्यक्त अर्थात् इंद्रियों के सामने प्रकट न होने वाले
103. सहस्राक्ष अर्थात् अनंत आँख वाले
104. सहस्रपाद अर्थात् अनंत पैर वाले
105. अपवर्गप्रद अर्थात् मोक्ष देने वाले
106. अनंत अर्थात् देशकाल वस्तु रूपी परिच्छेद से रहित
107. तारक अर्थात् तारने वाले
108. परमेश्वर अर्थात् प्रथम ईश्वर
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