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इस बार खास है सावन का महीना
Sawan 2025: शास्त्रों के मुताबिक, सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. इस बार का सावन का महीना बेहद खास है. 11 जुलाई से शुरू होने वाले सावन के महीने में अब सिर्फ तीन दिन ही शेष हैं. ऐसे में हम आपको इस बार सावन के महीने के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं. इस साल सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त को समाप्त होगा. इस दौरान पूरे महीने भोले नाथ के भक्त कांवड़ लेकर आएंगे और वृत रखेंगे. इसके साथ ही पूरे महीने शिवालयों में पूजा-अर्चना चलेगी.
शिव वास योग से शुरू हो रहा सावन का महीना
इस साल के सावन की सबसे खास बात ये है कि इस बार सावन का महीना शिव वास योग से शुरू हो रहा है. जिससे इस महीने का महत्व और भी बढ़ जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब सावन के महीने की शुरुआत इस योग के साथ हो तो भगवान की कृपा अपने भक्तों पर तेजी से बरसती है. ज्योतिषाचार्यों ने इस बार के सावन के महीने का महत्व बताया है.
जानें क्या है शिव वास?
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है ये तो हम सभी जानते हैं लेकिन इसमें शिव वास का क्या महत्व है इसके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव हर दिन अलग‑अलग स्थानों पर विराजते हैं. इनमें कैलाश, माता पार्वती का कक्ष, नंदी पर सवार धरती यात्रा भी शामिल है. ऐसे में जिस दिन महादेव जहां होते हैं उस दिन की पूजा‑पद्धति पर सीधा असर पड़ता है. भगवान के इन्हीं बदले हुए ठिकानों को 'शिव वास' कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि सही स्थान पर जुड़े भाव से की गई प्रार्थना साधक को कई गुना फल लेने वाली होती है. जिसके चलते पुजारी पूजा-पाठ से पहले शिव वास जानने की सलाह देते हैं.
ऐसे करें भगवान शिव के वास का पता
अगर आप भी ये पता लगाना चाहते हैं कि भगवान शिव कब कहां वास पर हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं. दरअस, पुरातन गणना पद्धति के हिसाब से हम ये पता लगा सकते हैं भगवान शिव कहां कब वास कर रहे हैं. इसके लिए आप तिथि के अंक को दो से गुणा कर दें. उसके बाद उसमें पांच जोड़ दें और फिर पूरे योग को सात से भाग कर दें. बाकी बचे हुए नंबरों से भगवान शिव का वास तय होगा.
जैसे अगर भाग करने के बाद एक शेष बचता है तो भगवान शिव कैलाश पर्वत पर हैं. वहीं 2 शेष बचने पर भगवान शिव माता पार्वती के कक्ष में हैं. जबकि 3 बाकी बचने पर भगवान शिव नंदी पर विराजमान होकर धरती भ्रमण कर रहे हैं. वहीं 0, 4, 5, 6 शेष रहने पर पूजा का समय थोड़ा कठिन माना जाता है और उसके लिए विशेष कर्म से दूरी बनाने को कहा गया है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)