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Sawan 2022 Somwar Parthiv Shivling Puja: पार्थिव शिवलिंग की पूजा से मिलते हैं कई गुप्त फल, दिव्य सिद्धियों तक की होती है प्राप्ति

Sawan 2022 Somwar Parthiv Shivling Puja: सनातन परंपरा में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग की पूजा के अलग-अलग फल बताए गए हैं, लेकिन सभी प्रकार के शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है.

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Gaveshna Sharma
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Sawan 2022 Parthiv Shivling Puja

पार्थिव शिवलिंग की पूजा से मिलते हैं कई गुप्त फल और दिव्य सिद्धियां ( Photo Credit : News Nation)

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Sawan 2022 Somwar Parthiv Shivling Puja: देवों के देव महादेव श्रीशिव को कल्याणकारी देवता के रूप में सर्वत्र पूजा जाता है. श्रावण माह में शिवलिंग की पूजा-अभिषेक अनेक मनोरथों को पूर्ण करने वाली है. ये समस्त जगत लिंगमय है, सब कुछ लिंग में प्रतिष्ठित है, अतः जो आत्मसिद्धि चाहता है उसे शिवलिंग की विधिवत पूजा करनी चाहिए. सभी देवता, दैत्य, सिद्धगण, पितर, मुनि, किन्नर आदि लिंगमूर्ति का अर्चन करके सिद्धि को प्राप्त हुए हैं. सनातन परंपरा में अलग-अलग प्रकार के शिवलिंग की पूजा के अलग-अलग फल बताए गए हैं, लेकिन सभी प्रकार के शिवलिंग में पार्थिव शिवलिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व है. 

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पार्थिव शिवलिंग की पूजा का महत्व (Parthiv Shivling Puja Mahatva)
शिवपुराण के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में समस्त कष्ट दूर होकर सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने वाले शिवसाधक के जीवन से अकाल मृत्यु का भय दूर हो जाता है एवं भगवान शिव के आशीर्वाद से धन-धान्य,सुख-समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इनकी पूजा से अंत में मोक्ष को प्राप्त होता है. 

शिव महापुराण में दिए गए श्लोक 'अप मृत्युहरं कालमृत्योश्चापि विनाशनम। सध: कलत्र-पुत्रादि-धन-धान्य प्रदं द्विजा:।' के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा से तुरंत ही जो कलत्र पुत्रादि यानी कि घर की पुत्रवधु होती है वो शिवशंभू की कृपा से घर में धन धान्य लेकर आती है. इनकी पूजा इस लोक में सभी मनोरथ को भी पूर्ण करती है. जो दम्पति संतान प्राप्ति के लिए कई वर्षों से तड़प रहे हैं, उन्हें पार्थिव लिंग का पूजन अवश्य करना चाहिए.

पार्थिव शिवलिंग की पूजा विधि (Parthiv Shivling Puja Vidhi)
- शास्त्रों के अनुसार सावन के महीने में पार्थिव शिवलिंग की पूजा के लिए किसी नदी या पवित्र स्थान की मिट्टी को लेकर उसमें गंगाजल, पंचामृत, गाय का गोबर और भस्म मिलाएं. 

- यदि संभव हो तो गंगा नदी की मिट्टी से पार्थिव शिवलिंग बनाना चाहिए. 

- इसके बाद शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बना लें. 

- ध्यान रहे पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए. 

- पार्थिव शिवलिंग की विधि-विधान से पूजा भी इन्हीं दिशाओं में मुख करके करें.

- शिवलिंग की ऊँचाई 12 अंगुल से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. 

- पार्थिव शिवलिंग के पूजन से जन्म -जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं, अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है एवं भोलेनाथ की असीम कृपा की प्राप्ति होती है. 

- सावन में शिव भक्ति विशेष महत्व रखती है. अत: सावन में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसकी पूजा अर्चना करना बहुत मंगलकारी माना गया है.

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किसने किया पार्थिव पूजन
मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर कूच करने से पहले भगवान शिव की पार्थिव पूजा की थी. मान्यता है कि कलयुग में भगवान शिव का पार्थिव पूजन कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने किया था. जिसके बाद से अभी तक शिव कृपा बरसाने वाली पार्थिव पूजन की परंपरा चली आ रही है. शास्त्रों में वर्णित है कि शनिदेव ने अपने पिता सूर्यदेव से ज्यादा पराक्रम पाने के लिए काशी में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा की थी.

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