Sawan 2022 Shri Krishna Ka Rahasya: आषाढ़ मास की देवशयनी एकादशी से चातुर्मास प्रारंभ हो चुके हैं. चातुर्मास के चार माह में श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक माह आएंगे. सावन की शुरुआत 14 जुलाई 2022 से हो चुकी है. सावन में भगवान शिव की आराधना पूरे भक्ति भाव से की जाती है. इस माह से शिव जी के साथ भगवान श्रीकृष्ण का भी खास संबंध है. इस दौरान भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना के साथ कान्हा की भी आराधना की जाए तो दोगुना फल प्राप्त होता है. आइए जानते हैं सावन से भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी खास बातें.
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सावन में श्रीकृष्ण से जुड़ी खास बातें
- धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी की एक महीने तक श्रीकृष्ण की पूजा का विधान है. मान्यता है कि भोदों की कृष्ण जन्माष्टमी तक कान्हा की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- भगवान विष्णु के 8वें और सबसे लोकप्रिय अवतार भगवान श्रीकृष्ण को माना जाता है. चातुर्मास को तप औऱ साधना का प्रतीक माना जाता है. ऐसे में सावन से लेकर भादो के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने के लिए हरे राम हरे कृष्ण हरे मंत्र का जाप करना चाहिए.
- श्रीकृष्ण के इस मंत्र में जातक को मन को नियंत्रित करने की क्षमता है. सावन में कान्हा के इस मंत्र जाप से मनासिक तौर पर शांति मिलती है. जीवन मरण के च्रक से मुक्ति दिलाने में ये मंत्र बहुत फलयादी साबित होता है.
- सावन में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा द्वारकाधीश के रूप में की जाती है. मान्यता के अनुसार मथुरा में जन्में भगवान कृष्ण ने बसने के लिए द्वारका नगरी को चुना था. सावन में इनकी आराधना से आरोग्य का वरदान मिलात है.
- ग्रंथों के अनुसार वसंत के बाद श्रीकृष्ण इसी माह में रास रचाते हैं. विशेष तौर पर भगवान कृष्ण की नगरी मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन में सावन उत्सव को कृष्म जन्माअष्टमी तक धूमधाम से मनाया जाता है.
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सावन में श्रीकृष्ण का राशि अनुसार मंत्र जाप
- मेष राशि - ऊॅं विश्वरूपाय नम:
- वृषभ राशि - ऊॅं उपेन्द्र नम:
- मिथुन राशि - ऊॅं अनंताय नम:
- कर्क राशि - ऊॅं दयानिधि नम:
- सिंह राशि - ऊॅं ज्योतिरादित्याय नम:
- कन्या राशि - ऊॅं अनिरुद्धाय नम:
- तुला राशि - ऊॅं हिरण्यगर्भाय नम:
- वृश्चिक राशि - ऊॅं अच्युताय नम:
- धनु राशि - ऊॅं जगतगुरवे नम:
- मकर राशि - ऊॅं अजयाय नम:
- कुंभ राशि - ऊॅं अनादिय नम:
- मीन राशि - ऊॅं जगन्नाथाय नम: