Sawan 2020: सावन का तीसरा सोमवार आज, जानिए क्यों होती है भगवान शिव की पूजा

आज यानी 20 जुलाई को सावन मास का तीसरा सोमवार है. लोग श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा कर कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर सावन के महीने में ही भगवान शिव की इतनी पूजा क्‍यों होती है?

आज यानी 20 जुलाई को सावन मास का तीसरा सोमवार है. लोग श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा कर कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर सावन के महीने में ही भगवान शिव की इतनी पूजा क्‍यों होती है?

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Aditi Sharma
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Shivratri of Sawan month

सावन का तीसरा सोमवार आज( Photo Credit : फाइल फोटो)

आज यानी 20 जुलाई को सावन मास का तीसरा सोमवार है. लोग श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा कर कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि आखिर सावन के महीने में ही भगवान शिव की इतनी पूजा क्‍यों होती है? क्‍या है सावन का शिव से कनेक्‍शन, आइए जानें..

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भगवान शिव जो को श्रावण मास का देवता कहा जाता हैं. पूरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं और विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं. भारत में पूरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं. अगर बात करें भोले भंडारी की तो श्रावण यानी सावन का महीना उन्‍हें बहुत प्रिय है. इसके पीछे की मान्यता यह हैं कि दक्ष पुत्री माता सती ने अपने जीवन को त्याग कर कई वर्षों तक श्रापित जीवन व्‍यतीत कीं.

पार्वती ने किया तप तो मिले शिव

इसके बाद उन्होंने हिमालय राज के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया. भगवान शिव को पार्वती ने पति रूप में पाने के लिए पूरे सावन महीने में कठोर तपस्‍या की, जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी मनोकामना पूरी की. अपनी भार्या से पुन: मिलाप के कारण भगवान शिव को श्रावण का यह महीना अत्यंत प्रिय हैं.

यही कारण है कि इस महीने क्‍वांरी कन्या अच्छे वर के लिए शिव जी से प्रार्थना करती हैं. यह भी मान्यता हैं कि सावन के महीने में भगवान शिव ने धरती पर आकार अपने ससुराल में विचरण किया था जहां अभिषेक कर उनका स्वागत हुआ था. इसलिए इस माह में अभिषेक का महत्व बताया गया हैं.

एक कथा यह भी है

धार्मिक मान्यतानुसार श्रावण मास में ही असुर और देवताओं ने समुद्र मंथन किया था. मंथन से निकले हलाहल विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया जिस कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला और इस प्रकार उन्होंने से सृष्टि को इस विष से बचाया.

इसके बाद सभी देवताओं ने उन पर जल डाला था इसी कारण शिव अभिषेक में जल का विशेष स्थान हैं. वहीं वर्षा ऋतु के चातुरमास में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस वक्त पूरी सृष्टि भगवान शिव के अधीन हो जाती हैं. अत: भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु मनुष्य कई प्रकार के धार्मिक कार्य, दान, उपवास करते हैं.

Source : News Nation Bureau

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