कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो करें त्रयंबकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग की पूजा, सारे कष्‍ट हो जाएंगे दूर

सावन का महीना चातुर्मास का पहला महीना होता है. धार्मिक मान्‍यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पालात लोक में चले जाते हैं तो पृथ्वी की देखभाल भगवान भोलेनाथ करते हैं. भगवान शिव इस दौरान पृथ्वी का भ्रमण करते हैं.

सावन का महीना चातुर्मास का पहला महीना होता है. धार्मिक मान्‍यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पालात लोक में चले जाते हैं तो पृथ्वी की देखभाल भगवान भोलेनाथ करते हैं. भगवान शिव इस दौरान पृथ्वी का भ्रमण करते हैं.

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Sunil Mishra
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कालसर्प दोष से पीड़ित हैं तो करें त्रयंबकेश्‍वर ज्‍योतिर्लिंग की पूजा( Photo Credit : File Photo)

सावन का महीना चातुर्मास का पहला महीना होता है. धार्मिक मान्‍यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पालात लोक में चले जाते हैं तो पृथ्वी की देखभाल भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) करते हैं. भगवान शिव इस दौरान पृथ्वी का भ्रमण करते हैं. इसलिए सावन में भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्‍व है. सावन के हर सोमवार को ज्योतिर्लिंग का दर्शन शुभ और फलदायी माना जाता है. महाराष्ट्र के नासिक के पास त्र्यम्बकेश्वर मंदिर भोलेनाथ का ऐसा ही ज्योतिर्लिंग है, जिसके दर्शन से भगवान शिव उसके सभी कष्टों को दूर करते हैं.

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नासिक के पास स्थित त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग है. धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार, भदवान शिव यहां प्रकट हुए थे. त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग में कालसर्प दोष और पितृदोष की पूजा की जाती है. जिन लोगों की जन्म कुंडली में ये दोष पाया जाता है, वह व्यक्ति त्र्यंबकेश्व में पूजा करे तो यह दोष समाप्त हो जाता है, ऐसी धार्मिक मान्‍यता है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार नासिक के पास ब्रह्मगिरी पर्वत पर देवी अहिल्या के पति ऋषि गौतम रहते थे. एक समय दूसरे ऋषि उनसे ईष्या करने लगे. ऋषियों ने एक बार गौतम ऋषि पर गोहत्या का आरोप लगाया और कहा कि आपको पाप का प्रायश्चित करना पड़ेगा. इसके लिए यहां पर गंगा का पानी लाना होगा.

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इस पर गौतम ऋषि शिवलिंग की स्थापना कर भगवान शिव की तपस्या करने लगे. तपस्या से खुश होकर भगवान शिव और माता पार्वती ने उन्हें दर्शन दिये और गौतम ऋषि से वर मांगने को कहा. तब गौतम ऋषि ने गंगा माता को इस स्थान पर उतारने का वर मांगा. तब गंगा मां ने कहा कि वे यहां तभी उतरेंगी जब भगवान शिव यहां रहेंगे. तभी से भगवान शिवजी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप निवास करने लगे. त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास से ही गोदावरी के रूप में गंगा नदी बहने लगी. इस नदी को गौतमी नदी भी कहा जाता है.

Source : News Nation Bureau

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