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Akshay Navami 2023: आज है अक्षय नवमी, जानें क्यों करते हैं आंवले के पेड़ की पूजा

Amla Tree Religious Significance: आवंले के फायदों के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आंवले के वृक्ष में देवी देवताओं का वास होती है. इसका धार्मिक महत्त्व भी है और इस पेड़ को दान करने से कई तरह के सुखों की प्राप्ति भी होती है.

Updated on: 21 Nov 2023, 10:15 AM

नई दिल्ली:

Akshay Navami 2023: आज अक्षय नवमी है, कार्तिक मास से शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनायी जाती है. इसे आंवला नवमी भी रहते हैं और इस दिन आंवले के वृक्ष की विशेष पूजा की जाती है. आमला वृक्ष (Amla tree) को हिंदी में "आवला वृक्ष" भी कहा जाता है और यह वृक्ष भारत में पाया जाने वाला प्रमुख पेड़ है. इसका विज्ञानिक नाम 'फाइलेन्टेरिया एंब्लिका' (Phyllanthus emblica) है. यह पेड़ धार्मिक, सांस्कृतिक, चिकित्सीय और आयुर्वेदिक आधारों पर भी महत्त्वपूर्ण है. आयुर्वेद में आवला को एक महत्वपूर्ण औषधि माना जाता है और इसे विभिन्न रोगों के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है. इसके औषधीय गुणों का संबंध संस्कृति और धार्मिक अनुष्ठानों से है जिससे इसे हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पेड़ माना जाता है.

धार्मिक अनुष्ठानों में, आवला वृक्ष के पत्ते, फल और छाले का उपयोग पूजा-अर्चना और हवनों में किया जाता है. आमतौर पर, इसके फल को लौंग और इलायची के साथ मिलाकर पूजा में उपचार के रूप में प्रयोग किया जाता है. आवला के बारे में धार्मिक मान्यताएं विभिन्न धार्मिक समुदायों में हैं, लेकिन इसका प्रमुख संबंध हिंदू धर्म से है, जहां इसे महत्वपूर्ण पूजा वस्तु के रूप में शामिल किया जाता है.

शास्त्रों में लिखी कहानी के अनुसार मां लक्ष्मी ने आंवले के पेड़ की पूजा करके भगवान विष्णु और शिव को प्रसन्न किया है जिससे उन्होने मां लक्ष्मी को दर्शन दिए. कहते हैं तुलसी का पौधा भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है और इसी तरह बेल भगवान शिव के प्रिय हैं. इन दोनों की शक्ति के बराबर आंवले की शक्ति है. ऐसे में आंवले के वृक्ष की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है. 

कैसे करते हैं आंवले के वृक्ष की पूजा 

- आंवले के वृक्ष की पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध होकर आनंदमय हों.

- आंवले के वृक्ष के समीप अगर कोई पूजा का स्थान है तो उसे सुंदर अलंकारित करें.

- आप फूल, दीपक, धूप, चादर, और पुष्प आदि का उपयोग कर सकते हैं.

- पूजा के लिए आंवले के फल, लौंग, इलायची, रोली, अक्षत, नरियल, और गंध आदि का उपयोग करें.

- अब धूप, दीप, अगरबत्ती, और फूलों से समर्पित करें.

- विधि के अनुसार मंत्रों का उच्चारण करें और मन से भगवान को स्तुति दें.

- पूजा के बाद आंवले के वृक्ष को प्रणाम करें और अपनी मनोकामनाएं मांगें. आप और आपके परिवार के सुख-शांति की कामना करें

आंवला दान करने के फायदे

संतान सुख: आंवले के वृक्ष का दान करने से पुत्र प्राप्ति की कामना पूरी होती है.

स्वास्थ्य: आंवले के वृक्ष का दान करने से रोगों से रक्षा होती है और व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ मिलता है.

धन: इसे दान करने से व्यक्ति को धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है.

शिक्षा की प्राप्ति: आंवले के वृक्ष का दान करने से विद्या की प्राप्ति होती है और विद्यार्थियों को सफलता मिलती है.

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आंवला खाने के फायदे 

विटामिन सी का स्रोत: आंवले में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है और रोगों से लड़ने में मदद करती है।

पाचन को सुधारने में मदद: आंवले के सेवन से पाचन तंत्र को सुधारा जा सकता है और अपच की समस्या को कम किया जा सकता है।

त्वचा के लिए लाभकारी: आंवला स्किन के लिए बेहद लाभकारी होता है. इसे खाने से खून साफ होता है और स्किन पर ग्लो आता है. 

औषधीय गुणों से भरपूज आवंले के की आयुर्वेदिक फायदे भी हैं. हिंदू धर्म में इसे पवित्र पेड़ के रूप में पूजा जाता है और हर साल  शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी भी मनायी जाती है. तो अब तक अगर आप आंवले के हेल्थ बेनेफिट्स के बारे में ही जानते थे तो अब आप इसके धार्मिक महत्त्व को भी समझ चुके होंगे.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)