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Reason Behind Not Eating Rice On Ekadashi: एकादशी के दिन चावल को क्यों माना जाता है मांसाहार भोजन, जानें चंद्रमा से जुड़ा ये गूढ़ रहस्य

Reason Behind Not Eating Rice On Ekadashi: एकादशी के दिन चावल खाने के लिए मना किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको इसके पीछे का धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारण बताने जा रहे हैं.

Updated on: 21 May 2022, 11:13 AM

नई दिल्ली :

Reason Behind Not Eating Rice On Ekadashi: पद्म पुराण के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. ज्योतिष के अनुसार, इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. जो लोग इस दिन व्रत नहीं रख पाते वह सात्विक का पालन करते हैं. यानी कि इस दिन लहसुन, प्याज, मांस, मछली आदि का त्याग करते हैं. साथ ही उस दिन चावल और इससे बनी कोई भी चीज नहीं खानी चाहिए. एकादशी के दिन चावल खाना आपके जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है. पौराणिक कथाओं में चावल को जीव माना जाता है. साथ ही चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. ऐसे में व्रत के नियमों के पालन में मुश्किल होती है.

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एकादशी पर चावल है मांसाहार भोजन 
पौराणिक कथा के अनुसार, माता शक्ति के क्रोध से बचने के लिए महर्षि मेधा ने शरीर का त्याग कर दिया और उनका अंश पृथ्वी में समा गया. चावल और जौ के रूप में महर्षि मेधा उत्पन्न हुए इसलिए चावल और जौ को जीव माना जाता है. जिस दिन महर्षि मेधा का अंश पृथ्वी में समाया, उस दिन एकादशी तिथि थी. इसलिए एकादशी के दिन चावल खाना वर्जित माना गया. मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाना महर्षि मेधा के मांस और रक्त का सेवन करने जैसा है.

एकादशी पर चावल न खाने का वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक तथ्य के अनुसार चावल में जल तत्व की मात्रा अधिक होती है. जल पर चंद्रमा का प्रभाव अधिक पड़ता है. चावल खाने से शरीर में जल की मात्रा बढ़ती है इससे मन विचलित और चंचल होता है. मन के चंचल होने से व्रत के नियमों का पालन करने में बाधा आती है. एकादशी व्रत में मन का निग्रह और सात्विक भाव का पालन अति आवश्यक होता है इसलिए एकादशी के दिन चावल से बनी चीजें खाना वर्जित कहा गया है.