Puri Rath Yatra 2023: आज पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा, करेंगे नगर भ्रमण

Puri Rath Yatra 2023: आज पूरे विश्वभर में भगवान जगन्नाथ जी की चलने वाली नौ दिवसीय रथ यात्रा सुबह 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो रही है. भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ पहंडी में आकर रथ पर विराजेंगे.

Puri Rath Yatra 2023: आज पूरे विश्वभर में भगवान जगन्नाथ जी की चलने वाली नौ दिवसीय रथ यात्रा सुबह 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो रही है. भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ पहंडी में आकर रथ पर विराजेंगे.

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Aarya Pandey
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Puri Rath Yatra 2023

Puri Rath Yatra 2023( Photo Credit : social media )

Puri Rath Yatra 2023: आज पूरे विश्वभर में भगवान जगन्नाथ जी की चलने वाली नौ दिवसीय रथ यात्रा सुबह 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू हो रही है. भगवान जगन्नाथ, बड़े भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ पहंडी में आकर रथ पर विराजेंगे और नगर भ्रमण करने निकलेंगे. उसके बाद ये अपनी मौसी के घर जाएंगे. इस रथ यात्रा में शामिल होने राज्य और देश-विदेश के अलग-अलग कोनों से लाखों करोड़ों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की नगरी पहुंच रहे हैं. बता दें, भगवान जगन्नाथ जो भगवान विष्णु जी के अवतार श्री कृष्ण के ही रूप माने जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियों का आगमन होता है. ऐसा भी कहा जाता है कि जो लोग इस रथ यात्रा में शामिल होकर भगवान जगन्नाथ जी के रथ को खींचते हैं, उन्हें 100 यज्ञों के बराबर फल की प्राप्ति होती है. साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है. 

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जानें भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का महत्व 
हिंदू धर्म में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथयात्रा का बहुत ही खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इक रथ यात्रा में हिस्सा लेकर भगवान के रथ को खींचता है, उनके जीवन से सभी दुथ दूर हो जाते है. साथ ही उन्हें सौ यज्ञ करने के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है. 

रथ यात्रा से पहले एकांत में रहते हैं भगवान जगन्नाथ जी
रथ यात्रा निकालने से 15 दिन पहले ही भगवान जगन्नाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं . इस दौरान भक्त दर्शन भी नहीं कर पाते हैं. उसके बाद ये ज्योष्ठ माह की पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम की मूर्तियों को गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद 15 दिन के लिए एकांतवास में चले जाते हैं. ऐसा माना जाता  है कि पूर्णिमा स्नान में ज्यादा पानी से स्नान करने से भगवन बीमार हो जाते हैं इसलिए उनका एकांत में इलाज किया जाता है.

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