Peetal Ke Bartano Ki Shubhta: पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं सिर्फ कोई परंपरा, आपकी धन संपत्ति से जुड़ा है ये मामला
Peetal Ke Bartano Ki Shubhta: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा पाठ में हमेशा पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. माना जाता है कि पीतल के बर्तनों का प्रयोग न सिर्फ पूजा में शुद्धता बल्कि जीवन में शुभता भी लाता है.
नई दिल्ली :
Peetal Ke Bartano Ki Shubhta: घर में चाहे कोई पूजा पाठ हो या शादी-विवाह जैसे शुभ कार्य. उन सभी में पीतल के बर्तन जरूर रखे जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा पाठ में हमेशा पीतल के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. माना जाता है कि पीतल के बर्तनों का प्रयोग न सिर्फ पूजा में शुद्धता बल्कि जीवन में शुभता भी लाता है. इसके अलावा और भी कई कारणों से पूजा में पीतल के बर्तनों का उपयोग किया जाता है. आइये जानते हैं उनके बारे में.
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भगवान विष्णु को प्रिय है पीला रंग
हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक पीतल का रंग पीला होता है और पीला रंग भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं को बहुत प्रिय है. यह रंग बलिदान, त्याग और आध्यात्म का प्रतीक माना जाता है. ज्योतिष के अनुसार पीतल के बर्तनों का उपयोग केवल पूजा-पाठ में ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म के हरेक संस्कार में जन्म से लेकर मृत्यु तक किया जाता है. फिर चाहे नवजात बच्चे का जन्म, शादी, गोदभराई या अंतिम संस्कार ही क्यों न हो.
देवी-देवता देते मनचाहा वरदान
मान्यता है कि पूजा-पाठ में पीतल के बर्तन (Peetal ke Bartan) का उपयोग करने से जीवन पर बृहस्पति ग्रह का सुखद प्रभाव पड़ता है और बिगड़े काम पूरे हो जाते हैं. पीतल के बर्तन में पूजा करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और जातकों को मनचाहा वरदान देते हैं. पीतल के बर्तन में तुलसी पर जल चढ़ाने से मां लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों के घर में सुख-समृद्धि भर देती हैं.
इन बर्तनों का कभी न करें इस्तेमाल
धार्मिक विद्वानों का कहना है कि पूजा-पाठ के दौरान भगवान के भोग के लिए चढ़ाया जाने वाला प्रसाद भी पीतल के बर्तन में पकाया जाना चाहिए. ऐसा करने से पूजा का प्रभाव दोगुना हो जाता है और भगवान का आशीर्वाद मिलता है. यह बात ध्यान देने वाली है कि पूजा-पाठ के दौरान आप भूलकर भी लोहे, एल्युमिनियम या कांच के बर्तनों का इस्तेमाल न करें. साथ ही इन धातुओं से बनी मूर्ति भी पूजा के लिए न रखें. ऐसा करने से आपका देवी-देवता अप्रसन्न हो जाते हैं और आपको कष्ट झेलना पड़ता है (Peetal ke Bartan).
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