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Vidur Niti About People: मनुष्य को अपने ये दोष जल्दी ही कर लेने चाहिए दूर, पड़ता है पछताना और सपने हो जाते हैं चकनाचूर

महात्मा विदुर की नीतियां (mahatma vidur niti) व्यक्ति को उसके अवगुणों की पहचान (tips for a better life) करके जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. मनुष्य की जिज्ञासा, उसका व्यक्तित्व और कर्म के बदौलत ही इंसान सुख-दुख का अनुभव करता है.

Updated on: 27 Jul 2022, 08:57 AM

नई दिल्ली:

जिस तरह से आचार्य चाणक्य (acharya chanakya) ने अपनी नीतियों में जीवन के कई पहलुओं के बारे में बताया है. उसी तरह से विदुर नीति (Vidur niti) में भी मनुष्य के जीवन को सफल बनाने के लिए कई तरह की बातें बताई गईं है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन बातों का अनुसरण अपने जीवन में कर लेता है तो, उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं. महात्मा विदुर की नीतियां व्यक्ति को उसके अवगुणों की पहचान (tips for a better life) करके जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. मनुष्य की जिज्ञासा, उसका व्यक्तित्व और कर्म के बदौलत ही इंसान सुख-दुख का अनुभव करता है. ऐसा ही कुछ महात्मा विदुर ने अपने नीति शास्त्र में कुछ दोषों के बारे में बताया है. जो अगर किसी इंसान के भीतर हैं तो व्यक्ति सभी सुख-सुविधाएं होने के बावजूद भी सुखी नहीं रह पाता. तो, चलिए जानते हैं महात्मा विदुर के अनुसार लोगों को किन दोषों (tips for happy life) से दूर रहना चाहिए.      

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क्रोध करना -

क्रोध इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है. विदुर नीति के अनुसार, क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया है जो उसे भीतर से खोखला कर देता है. क्रोध में व्यक्ति सही गलत की पहचान नहीं कर पाता और बाद में उसे पछताना (angry people) पड़ सकता है. 

असंतोष -

महात्मा विदुर के अनुसार, असंतोष की भावना से ग्रस्त व्यक्ति किसी भी काम या परिस्थिति से खुश नहीं हो पाता. ऐसे लोग जीवन में सभी सुख प्राप्त होने के बावजूद भी संतुष्ट नहीं होते और अपने साथ-साथ परिवार वालों के दुखों का कारण बनते हैं.   

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दूसरों पर आश्रित लोग -

महात्मा विदुर ने अपनी नीति में कहा है कि जो लोग हर काम के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं. उन्हें कभी जीवन में सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है. पराश्रित व्यक्ति कभी भी जीवन में खुद की पहचान (dependent people) नहीं बना पाता.   

ईर्ष्या की भावना -

ईर्ष्या की भावना भी मनुष्य में एक बड़ा दोष माना जाता है. ईर्ष्यालु प्रवृत्ति के लोग ना कभी खुद खुश रहते हैं और ना ही किसी और की उन्नति देखकर उन्हें खुशी (jealous people) मिलती है.