Sawan 2022 Baba Baidyanath Dham Significance: 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है देवघर का बाबा बैद्यनाथ धाम, सावन में जानें इसका महत्व
सावन (Sawan 2022) में शिवजी के प्रसिद्ध मंदिरों और ज्योतिर्लिंगों में शिवभक्तों (Baba Baidyanath Dham) की भारी भीड़ देखने को मिलती है. ऐसा ही एक मंदिर झारखंड का बैद्यनाथ धाम महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थान है.
नई दिल्ली:
सावन (sawan 2022) का महीना 14 जुलाई से ही शुरू हो चुका है. ऐसे में ये पूरा महीना शिव जी को समर्पित होता है. इस महीने शिव जी की पूजा-आराधना और व्रत का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि इस महीने में भगवान शिव (baidyanath dham temple) की पूजा-पाठ करने से वे जल्दी ही प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. सावन में शिवजी के प्रसिद्ध मंदिरों और ज्योतिर्लिंगों में शिवभक्तों (baidyanath temple) की भारी भीड़ देखने को मिलती है. ऐसा ही एक मंदिर झारखंड का बैद्यनाथ धाम महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थान है. ये भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है. सावन के महीने में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और भोले बाबा का जलाभिषेक करते हैं. तो, चलिए झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम (deoghar baba dham) के महत्व के बारे में जानते हैं.
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भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक देवघर का बैद्यनाथ धाम -
आपको बता दें कि झारखंड के देवघर स्थित तीर्थस्थल बाबा बैद्यनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में नौंवा ज्योतिर्लिंग है. ये ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो शक्तिपीठ भी है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्वयं भगवान विष्णु ने इसकी स्थापना की थी. वैसे तो पूरे साल यहां भक्त दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं लेकिन, सावन के महीने में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. माना जाता है कि मंदिर के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. यही वजह है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग (baba baidyanath temple) को कामना लिंग भी कहा जाता है.
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देवघर में हर साल होता है श्रावण मेला और निकलती है कांवड़ यात्रा -
सावन के महीने में कांवड़ यात्रा बहुत प्रसिद्ध होती है. यहां अलग-अलग राज्यों से कावड़ यात्री पहुंचते हैं. भोलेबाबा की नगरी देवघर में हर साल सावन के महीने में श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है. कोरोना महामारी के कारण बीते दो साल से यहां श्रावणी मेला और कांवड़ यात्रा बंद थी. जो कि इस साल शुरू हुई है. इस साल 14 जुलाई से शुरू होकर देवघर में पूरे एक माह श्रावणी मेला होगा. जहां पर कांवड़िए बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर कंधे पर कांवड़ को रखकर लगभग 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं. फिर, ये जल भगवान भोलेनाथ को चढ़ाते हैं. भक्तों की श्रद्धा और कठोर तप से भोलेबाबा प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं (story of baba baidyanath dham) पूरी करते हैं.
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