Parijat Yog In Kundli : परिजात योग ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण योग है जो धन, समृद्धि, और राजयोग का प्रतीक माना जाता है. यह योग तब बनता है जब जन्म कुंडली में कुछ विशेष ग्रहों की स्थिति होती है. परिजात योग बनने के लिए चतुर्थेश और नवमेश एक दूसरे के केंद्र में हों. लग्नेश मजबूत हो. कुंडली में कोई भी पाप ग्रह केंद्र में न हो. अगर चतुर्थेश और नवमेश ग्रह मंगल और गुरु हैं, और वे केंद्र में स्थित हैं, तो परिजात योग बनता है. अगर चतुर्थेश और नवमेश ग्रह बुध और शुक्र हैं, और वे केंद्र में स्थित हैं, तो परिजात योग बनता है. अगर चतुर्थेश और नवमेश ग्रह सूर्य और चंद्रमा हैं, और वे केंद्र में स्थित हैं, तो परिजात योग बनता है.
परिजात योग के प्रभाव:
धन और समृद्धि: यह योग व्यक्ति को धन और समृद्धि प्रदान करता है.
राजयोग: यह योग व्यक्ति को राजयोग या उच्च पद प्राप्त करने में मदद करता है.
मान-सम्मान: यह योग व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्रदान करता है.
शिक्षा: यह योग व्यक्ति को शिक्षा और ज्ञान प्राप्त करने में मदद करता है.
विवाह: यह योग व्यक्ति को सुखी वैवाहिक जीवन प्रदान करता है.
परिजात योग के प्रभाव व्यक्ति की जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों की स्थिति और योगों पर भी निर्भर करते हैं. परिजात योग के प्रभावों को अधिकतम पाने के लिए दान और पुण्य कार्य करें. गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करें. नियमित रूप से भगवान की पूजा करें और सकारात्मक सोच रखें. परिजात योग एक बहुत ही शुभ योग है जो व्यक्ति को जीवन में सफलता और खुशी प्राप्त करने में मदद करता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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Source : News Nation Bureau