Navtratri 2020 2nd Day: नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, भक्तों को मिलता है ये फल
आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) की पूजा-अर्चना की जाती है. माता ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है.
नई दिल्ली:
Navratri 2020: आज शारदीय नवरात्र का दूसरा दिन है. इस दिन मां ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) की पूजा-अर्चना की जाती है. माता ब्रह्मचारिणी (Brahmcharini) के दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल है. मां ब्रह्मचारिणी इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. कठोर साधना और ब्रह्म में लीन रहने के कारण भी इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है. ब्रह्मचारिणी रूप की आराधना से उम्र लम्बी होती है.
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मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि-
मां ब्रह्मचारिणी जी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन, से पूजा करें. अब उन्हें दूध, दही, चीनी, घी और शहद से स्नान कराएं और मां को प्रसाद अर्पित करें. प्रसाद के बाद आचमन और फिर पान, सुपारी भेंट करें. देवी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें-
इन मंत्रों का करें जाप
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू. देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा..
(अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें.)
माता ब्रह्मचारिणी को लगाएं ये भोग-
मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दही का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा चीनी, सफेद मिठाई और मिश्री का भी भोग लगाया जा सकता है. इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भेग लगाया जाता है. इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है.
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मां ब्रह्मचारिणी की कथा-
शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया. पार्वती ने महर्षि नारद के कहने पर देवाधिदेव महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. हजारों वर्षों तक की कई इस कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा. अपनी इस तपस्या से उन्होंने महादेव को प्रसन्न कर लिया. मान्यता है कि अगर मां की भक्ति और पूजा से दिल से की जाएं तो मां ब्रह्मचारिणी अपने भक्तों से प्रसन्न होकर उन्हें धैर्य, संयम, एकाग्रता और सहनशीलता का आशीर्वाद देती हैं.
मां ब्रह्माचारिणी की आरती-
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता.
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता.
ब्रह्मा जी के मन भाती हो.
ज्ञान सभी को सिखलाती हो.
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा.
जिसको जपे सकल संसारा.
जय गायत्री वेद की माता.
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता.
कमी कोई रहने न पाए.
कोई भी दुख सहने न पाए.
उसकी विरति रहे ठिकाने.
जो तेरी महिमा को जाने.
रुद्राक्ष की माला ले कर.
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर.
आलस छोड़ करे गुणगाना.
मां तुम उसको सुख पहुंचाना.
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम.
पूर्ण करो सब मेरे काम.
भक्त तेरे चरणों का पुजारी.
रखना लाज मेरी महतारी.
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