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Mohini Ekadashi 2023 : इस दिन रखें इन बात का रखें खास ध्यान, बनी रहेगी भगवान विष्णु की कृपा

हिंदू धर्म में सभी व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना गया है.

Updated on: 29 Apr 2023, 08:51 AM

नई दिल्ली :

Mohini Ekadashi 2023 : हिंदू धर्म में सभी व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना गया है. ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से गौदान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है. आपको बता दें, दिनांक 01 मई दिन सोमवार को मोहिनी एकादशी है. यह व्रत हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रुप धारण कर सभी असुरों का नाश किया था. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और दान-धर्म करने से सभी पाप, दुख, दरिद्रता से मुक्ति मिल जाती है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में मोहिनी एकादशी व्रत के कुछ उपाय और कुछ विशेष नियम के बारे में विस्तार से बताएंगे. 

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जानें मोहिनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त 
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि यानी कि दिनांक 30 अप्रैल को रात 08:28 मिनट से लेकर इसका समापन दिनांक 01 मई को रात 10:09 मिनट पर होगा. 

एकादशी व्रत का पारण समय
दिनांक 02 मई को सुबह 05:40 मिनट से लेकर सुबह 08:19 मिनट के बीच आप कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं. 

इस दिन करें ये उपाय 
1. ज्योतिष शास्त्र में मोहिनी एकादशी व्रत के दिन भगवान विष्णु को खीर का भोग अवश्य लगाना चाहिए, साथ ही मां लक्ष्मी को लाल रंग का वस्त्र चढ़ाना चाहिए. इससे अगर आपके जीवन में आर्थिक समस्या होगी, तो वह दूर हो जाएगी. 

2. एकादशी व्रत के दिन संध्या के समय तुलसी के पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए, साथ ही इस मंत्र का जाप कर 11 बार परिक्रमा करना चाहिए. 
'ॐ श्री तुलस्यै विद्महे। विष्णु प्रियायै धीमहि। तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।' 

3. वैशाख माह में भीषण गर्मी होती है, इसलिए मोहिनी एकादशी व्रत के दिन जल अवश्य दान करना चाहिए. साथ ही पशु-पक्षियों को पानी भी जरूर पिलाएं. इस दिन जरूरतमंदों को जूते-चप्पल, छाता का दान करने से मां लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती हैं. 

जानें क्या है मोहिनी एकादशी व्रत के नियम 
शास्त्रों के अनुसार, मोहिनी एकादशी व्रत के दिन भूलकर भी पशु-पक्षियों को परेशान नहीं करना चाहिए. इसके बजाय उन्हें खाना दें और पानी दें. इस दिन जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा देकर घर से विदा करना चाहिए. 
इस दिन नकारात्मक विचार अपने मन में न आने दें और वाद-विवाद करने से बचें.