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Mohini Ekadashi 2021: आखिर भगवान विष्णु को क्यों धारण करना पड़ा था मोहिनी का रूप, जानें कथा

आज यानि की रविवार को मोहिनी एकादशी का व्रत है. हिंदू धर्म में इस एकादशी का खास महत्व है. मान्यताओं के मुताबिक, मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य सभी तरह के पापों से मुक्त हो जाता है.

Updated on: 23 May 2021, 12:41 PM

नई दिल्ली:

आज यानि की रविवार को मोहिनी एकादशी का व्रत है. हिंदू धर्म में इस एकादशी का खास महत्व है. मान्यताओं के मुताबिक, मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से मनुष्य सभी तरह के पापों से मुक्त हो जाता है. इस एकादशी के प्रताप से व्रत करने वाला व्‍यक्ति मोह-माया से ऊपर उठ जाता है. कहते हैं कि इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्‍ति होती है. मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु ने वैशाख शुक्‍ल एकादशी के दिन ही मोहिनी  का रूप धारण किया था. भगवान ने अपने इसी मोहिनी रूप से असुरों को मोहपाश में बांध लिया और सारा अमृत पान देवताओं को करा दिया था.

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मोहिनी एकादशी का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्‍व है. मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माता सीता के विरह से पीड़ित भगवान श्री राम और महाभारत काल में युद्धिष्ठिर ने भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया था.

मोहिनी एकादशी की पूजन विधि 

एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई करें. स्‍नान के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनें. अब व्रत का संकल्‍प लें. भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं.  विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं. पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें. धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें. अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें. एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं.

मोहिनी एकादशी व्रत के नियम

- कांसे के बर्तन में भोजन न करें

- मांसाहारी भोजन, मसूर की दाल, चने व कोदों की सब्‍जी और शहद का सेवन न करें.

- कामवासना का त्‍याग करें.

- व्रत वाले दिन जुआ नहीं खेलना चाहिए.

- पान खाने और दातुन करने की मनाही है.

इसलिए भगवान विष्णु ने धारण किया था मोहिनी रूप

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, समुद्र मंथन के दौरान देव-दानवों के बीच अमृत कलश को लेकर घमासान युद्ध छिड़ गया था. उस दौरान भगवान व‍िष्‍णु ने सुंदर स्‍त्री मोहिनी का रूप धारण किया. जिसपर असुर मोहित हो उठे. तब श्रीहर‍ि ने देवताओं को अमृत पान कराया. इससे सभी देवता अमर हो गए. कहा जाता है कि जिस द‍िन श्रीहर‍ि ने मोहिनी का रूप धारण किया था वह तिथि वैशाख मास की शुक्‍ल एकादशी थी. यही वजह है कि इस तिथ‍ि को मोहिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. इसके अलावा इस द‍िन भगवान विष्‍णुजी के मोहिनी रूप की भी पूजा का विधान है.