चाणक्य नीति: अगर नौकरी-व्यापार में चाहते हैं सफलता, चाणक्य की इन बातों को हमेशा रखें याद

चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया

चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया

author-image
Avinash Prabhakar
New Update
chanakya niti 01

प्रतीकात्मक तस्वीर ( Photo Credit : File)

चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु और सलाहकार आचार्य चाणक्य के बुद्धिमत्ता और नीतियों से ही नंद वंश को नष्ट कर मौर्य वंश की स्थापना की थी. आचार्य चाणक्य ने ही चंद्रगुप्त को अपनी नीतियों के बल पर एक साधारण बालक से शासक के रूप में स्थापित किया. आचार्य चाणक्य की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति विश्वविख्यात है, जो हर एक को प्रेरणा देने वाली है. अर्थशास्त्र के कुशाग्र होने के कारण इन्हें कौटिल्य कहा जाता था. आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के जरिए जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान बताया है. 

Advertisment

आचार्य चाणक्य ने अपने चाणक्य नीति में सफलता के अचूक मंत्र दिए हैं. चाणक्य नीति की कुछ विशेष बातों को यदि व्यक्ति अपने जीवन में उतार ले तो वह कभी भी असफल नहीं हो सकता है. आइये जानते हैं कि जीवन में सफलता को लेकर चाणक्य ने क्या कहा है : 

यस्मिन् देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बान्धवाः। न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत् ॥ 

भावार्थ: चाणक्य नीति अनुसार जिस देश में सम्मान न हो, आजीविका न मिले, कोई भाई-बन्धु न रहता हो और जहाँ विद्या-अध्ययन सम्भव न हो, ऐसे स्थान पर नहीं रहना चाहिए. 

यो ध्रुवाणि परित्यज्य ह्यध्रुवं परिसेवते। ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति चाध्रुवं नष्टमेव तत् ॥ 

भावार्थ: जो व्यक्ति निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता है, उसका निश्चित भी नष्ट हो जाता है और अनिश्चित भी. 

कामधेनुगुणा विद्या ह्ययकाले फलदायिनी। प्रवासे मातृसदृशा विद्या गुप्तं धनं स्मृतम्॥ 

भावार्थ: विद्या कामधेनु के समान गुणों देने वाली मानी जाती है, जो बुरे समय में भी फल देनेवाली है, प्रवास काल में माँ के समान तथा गुप्त धन है.

कः कालः कानि मित्राणि को देशः को व्ययागमोः। कस्याहं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहुर्मुहुः॥ 

भावार्थ: व्यक्ति को इन चीजों के बारे में बार-बार सोचना चाहिए- कैसा समय है ? कौन मित्र है ? कैसा स्थान है ? आय-व्यय क्या है ? में किसकी और मेरी क्या शक्ति है ? 

आलस्योपहता विद्या परहस्तं गतं धनम्। अल्पबीजहतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम्॥ 

भावार्थ: आलस्य से विद्या नष्ट होती है. दूसरे के हाथ में धन जाने से धन नष्ट हो जाता है. कम बीज से खेत और बिना सेनापति के सेना नष्ट हो जाती है.

तावद् भयेषु भेतव्यं यावद्भयमनागतम्। आगतं तु भयं दृष्टवा प्रहर्तव्यमशङ्कया॥ 

भावार्थ: संकटों से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे दूर हैं, परन्तु संकट सिर पर आ जाये तो उस पर शंकारहित होकर प्रहार करना चाहिए. 

Source : News Nation Bureau

चाणक्य नीति चाणक्य नीति हिंदीं में chankya niti Chankya Niti Thoughts Chankya Niti Hindi
      
Advertisment