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Mauni Amavasya 2024: मौनी अमावस्या पर पूजा करने की सही विधि क्या है? जानें तरीका और तर्पण मंत्र

Mauni Amavasya 2024: सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का अधिक महत्व है. इस दिन मौन रहते हुए पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. जानिए मौनी अमावस्या पर पूजा कैसे करनी चाहिए. साथ ही जानें तर्पण मंत्र.

Updated on: 09 Feb 2024, 10:31 AM

नई दिल्ली:

Mauni Amavasya 2024:  मौनी अमावस्या का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है.  इस व्रत का पालन करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खुशियां, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के दिन कई लोग व्रत रखते हैं और ध्यान, पूजा और अर्चना के माध्यम से भगवान की आराधना करते हैं. हालांकि इस दिन शुभ कार्यों नहीं किए जाते हैं, जैसे - विवाह, सगाई, मुंडन,  गृह प्रवेश आदि. इसके अलावा अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करना काफी शुभ माना जाता है. वहीं पंचांग के अनुसार आज यानि 9 फरवरी 2024 को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2024) का व्रत किया जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं मौनी अमावस्या पर पूजा कैसे करनी चाहिए. साथ ही जानें पितरों के तर्पण मंत्र. 

मौनी अमावस्या 2024 शुभ मुहूर्त  (Mauni Amavasya 2024 Shubh Muhurat)

पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 9 फरवरी 2024 को सुबह 08 बजकर 02 मिनट से और इसका समापन 10 फरवरी 2024 को सुबह 04 बजकर 28 मिनट तक है. 

मौनी अमावस्या पूजा विधि ( Mauni Amavasya 2024 Puja Vidhi)

मौनी अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर मौन रहते हुए स्नान करें. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. उसके बाद इस दिन देसी घी का दीया जरूर जलाएं. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है. इसलिए मौनी अमावस्या पर पितृ तर्पण और पितृ पूजा जरूर करें. इस दिन हवन करें, गायत्री जाप करें, इसके साथ ही भगवद गीता का भी पाठ जरूर करें. ऐसा करना शुभ माना जाता है. अमावस्या पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं. साथ ही दान-पुण्य करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से से भगवान विष्णु से साथ-साथ माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है. 

पितरों के तर्पण मंत्र (Tarpan Mantra)

1. 'पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। पितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:। प्रपितामहेभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:'

2. 'ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम'

3. 'पितरों की मुक्ति के लिए पितृ गायत्री पाठ भी किया जा सकता है'

4. 'ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्'

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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