Mauni Amavasya Vrat Katha: मौनी अमावस्या पर पढ़ें ये कथा, पूरे जीवन नहीं होगी धन की कमी, पितर भी होंगे प्रसन्न!
Mauni Amavasya Vrat Katha: हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या व्रत का खास महत्व होता है. इस दिन मौन रहते हुए पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. मौनी अमावस्या पर आपको ये कथा जरूर पढ़नी चाहिए.
नई दिल्ली:
Mauni Amavasya Vrat Katha: माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाता है. इस दिन मौन रहते हुए पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है. पंचांग के अनुसार आज यानि 9 फरवरी 2024 को माघ अमावस्या मनाई जाएगी. अमावस्या के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति मौनी अमावस्य पर श्रद्धापूर्वक स्नान-दान करता है तो उनको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों को मोक्ष मिलता है. इसके साथ ही इस दिन पूजा के बाद ये कथा जरूर पढ़ना चाहिए. क्योंकि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) पर ये कथा पढ़ना बेहद शुभ माना जाता है. इससे आपकी आर्थिक तंगी दूर होती है साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है. आइए यहां पढ़ें पूरी कथा.
मौनी अमावस्या व्रत कथा (Mauni Amavasya Vrat Katha)
मौनी अमावस्या व्रत हिन्दू धर्म में माता गौरी की पूजा के रूप में माना जाता है. यह व्रत अमावस्या के दिन जिसे मौनी अमावस्या कहा जाता है की जाती है. इस व्रत की कथा एक पुरातात्विक नगर में एक ब्राह्मण, ब्राह्मणी के साथ रह रहा था. ब्राह्मण बहुत भक्तिभाव से माता गौरी की पूजा करता था, लेकिन उसकी पत्नी बहुत ही दुखी थी क्योंकि उसका पति हमेशा मौन रहता था और उससे बातचीत नहीं करता था. एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से कहा, 'मैंने माता गौरी से वर मांगा है कि मैं सब कुछ अपने मन में ही रखूं और मौन रहूं."
माता गौरी की करें पूजा
पत्नी ने यह सुनकर बहुत दुखी होकर माता गौरी के समक्ष पहुंची और उनसे अपनी समस्या बताई. माता गौरी ने उससे कहा, 'तुम्हें चाहिए कि तुम भी मौनी अमावस्या व्रत मनाओ और मेरी पूजा करो. इससे तुम्हारी सभी समस्याएं दूर होंगी' पत्नी ने ब्राह्मण को यह सुनकर व्रत मनाने का निर्णय लिया और मौनी अमावस्या के दिन माता गौरी की पूजा की. उसने मन से माता गौरी से अपनी समस्याओं की शिकायत की और उनसे आशीर्वाद मांगा.
सभी समस्याएं होंगी दूर
माता गौरी ने उसकी प्रार्थना सुनी और उसे अपनी कृपा से आशीर्वादित किया. इसके बाद से ब्राह्मण की पत्नी की सभी समस्याएं दूर हो गईं और उनका जीवन सुखमय बन गया. इसके बाद से हर वर्ष मौनी अमावस्या को माता गौरी की पूजा करने का पर्व मनाया जाता है और लोग इस व्रत के माध्यम से माता गौरी से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)
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