आत्मज्ञान की तलाश में भगवान महावीर ने 30 की उम्र में छोड़ा दिया था राज-पाट
इस वर्ष महावीर जयंती 14 अप्रैल को पड़ रही है. इस दिन को भगवान महावीर के जन्म उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
highlights
- हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था
- मान्यता है कि इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है
नई दिल्ली:
इस वर्ष महावीर जयंती (Mahavir Jayanti 2022)14 अप्रैल को पड़ रही है. इस दिन को भगवान महावीर के जन्म उत्सव (lord mahavir birthday) के तौर पर मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के 13वें दिन महावीर स्वामी का जन्म हुआ था. इनका जन्म बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था. ऐसी मान्यता है कि इन्हें जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर के रूप में माना जाता है. ये उन 24 लोगों में से एक हैं जिन्होंने तपस्या से आत्मज्ञान को पाया था. ऐसा कहा जाता है कि तीर्थंकर ऐसे लोग होते हैं जो इंद्रियों और भावनाओं पर पूरी तरह से विजय प्राप्त कर लेते हैं. आइए जानते हैं किस तरह से मनाई जाती है महावीर जयंती.
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महावी जयंती को इस तरह से मनाया जाता है
महावीर जयंती के दिन देशभर के जैन मंदिरों में पूजा-अर्चना होती है. इसके साथ शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं. इस दिन जैन समुदाय के लोग स्वामी महावीर के जन्म की खुशियां मनाते हैं. इन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा के कई बड़े उपदेश भी दिए. इन्होंने ही जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए थे, ये इस प्रकार हैं- अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य.
भगवान महावीर का जीवन
भगवान महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था. इनकी माता का नाम महारानी त्रिशाला और पिता का नाम महावीर महाराज सिद्धार्थ था. महावीर स्वामी आत्मज्ञान की तलाश में 30 वर्ष की उम्र में अपना सारा राज-पाट छोडकर कठोर तपस्या की ओर बढ़े. इन्होंने अपना घर-बार सबकुछ त्याग दिया था. उन्होंने 12 वर्ष तक कठोर तपस्या की और दीक्षा ग्रहण की. तप के बाद ही भगवान महावीर को कैवल्य ज्ञान (ब्रह्म-विद्या का वह ज्ञान जो शंशय-रहित हो ) की प्राप्ति हुई और वो तीर्थंकर कहलाए.
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