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Mahashivratri 2022: राक्षस भीम के वध से प्रकट हुए थे महादेव, इस रूप में महाराष्ट्र की करते हैं आज भी रक्षा

12 ज्योतिर्लिंग और हर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक और रहस्मयी कहानी है. ऐसे में आज हम आपको 12 में से एक ऐसे ज्योतिर्लिंग की कथा बताने जा रहे हैं जिसका नाम भगवान शिव के नाम पर नहीं बल्कि एक दानव के नाम पर है.

Updated on: 27 Feb 2022, 10:49 AM

नई दिल्ली :

12 प्रमुख ज्योतिर्लिगों (12 Jyotirlinga) में भीमाशंकर (Bhimashankar) का स्थान छठा है. यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूणे (Pune) से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव (moteshwar mahadev) के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दु:खों से छुटकारा मिल जाता है. इस बार 1 मार्च, मंगलवार को महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) है. इस मौके पर हम आपको भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातों की जानकारी देंगे और साथ ही इस ज्योतिर्लिंग से सम्बंधित कथा के बारे में भी बताएंगे.

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भगवान शिव ने किया था भीम राक्षस का वध 
पूर्वकाल में भीम नामक एक बलवान राक्षस था. वह रावण के छोटे भाई कुंभकर्ण का पुत्र था. ब्रह्मा से वरदान पाकर वह बहुत शक्तिशाली हो गया. कामरूप देश के राजा सुदक्षिण के साथ उसका भयानक युद्ध हुआ. अंत में भीम ने राजा सुदक्षिण को हराकर कैद कर लिया. राजा सुदक्षिण शिव भक्त था. भगवान शिव के प्रति राजा सुदक्षिण की भक्ति देखकर भीम ने जैसे ही तलवार चलाई, तभी वहां भगवान शिव प्रकट हो गए. भगवान शिव व राक्षस भीम के बीच भयंकर युद्ध हुआ. अंत में अपनी हुंकार मात्र से भगवान शिव ने भीम तथा अन्य राक्षसों को भस्म कर दिया. तब देवताओं व ऋषि-मुनियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि आप इस स्थान पर सदा के लिए निवास करें. इस प्रकार सभी की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उस स्थान पर भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थिर हो गए.

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें
1. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं.
2. भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है. कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं. इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है.
3. मंदिर के पीछे दो कुंड भी हैं. अनेक धर्म ग्रंथों में भी इस ज्योतिर्लिंग का वर्णन मिलता है. यहीं से भीमा नदी भी निकलती है. यह दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती हुई रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है.

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कैसे पहुंचे?
- भीमाशंकर ज्योतर्लिंग मंदिर तक पहुंचने के लिए पुणे से बस सुविधा व टैक्सी आसानी से मिल जाती है. पुणे से एमआरटीसी की सरकारी बसें रोजाना सुबह 5 बजे से शाम 4 बजे तक चलती हैं, जिसे पकड़कर आप आसानी से भीमशंकर मंदिर तक पहुंच सकते हैं.
- मंदिर के सबसे पास का रेलवे स्टेशन पुणे है. पुणे से भीमाशंकर के लिए बस व टैक्सियां उपलब्ध है.
- पुणे में ही हवाई अड्डा भी है. आप पुणे तक वायुसेवा की मदद ले सकते हैं.