Lord Jagannath Quarantine: भगवान जगन्नाथ 14 दिन के लिए हुए क्वारंटाइन, बीमारी में अलग रहने का देते हैं संदेश

भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) को भी हर साल होम क्वारंटाइन के साथ 14 दिन के आइसोलेशन में रखा जाता है. इस साल भी भगवान 14 दिनों के लिए अनासार यानी कि क्वारंटाइन (god Jagannath quarantine) रहेंगे.

author-image
Megha Jain
एडिट
New Update
Lord Jagannath Quarantine

Lord Jagannath Quarantine ( Photo Credit : social media )

भारत में कोरोना वायरस के कहर के बाद जिन लोगों में इसके हल्के से भी संकेत दिखते थे. उन्हें क्वारंटाइन कर दिया जाता था. यहां तक कि मामूली से सर्दी जुकाम में भी लोग खुद को आइसोलेट कर लेते थे. लेकिन, ये जानकर आपको हैरानी होगी कि भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) को भी हर साल होम क्वारंटाइन के साथ 14 दिन के आइसोलेशन में रखा जाता है. इस साल भी भगवान 14 दिनों के लिए अनासार यानी कि क्वारंटाइन (god Jagannath quarantine) रहेंगे.   

Advertisment

यह भी पढ़े : Astrological Remedies For Baby: संतान सुख से वंचित लोग जब करेंगे ये उपाय लाभकारी, घर में गूंजने लगेगी किलकारी

मंदिर के कपाट हो जाते हैं बंद 
हर साल रथ यात्रा से पहले ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से लेकर अमावस्‍या तक प्रभु जगन्‍नाथ बीमार पड़ते हैं. इस दौरान उन्‍हें मंदिर में आइसोलेशन में रखा जाता है. यानी भक्‍तों के लिए मंदिर के कपाट एक पखवाड़े तक बंद कर दिए जाते हैं. जिसे मंदिर की भाषा में अनासार कहा जाता है. इस अवधि में भगवान के दर्शन बंद रहते हैं एवं भगवान को जड़ी बूटियों का पानी आहार यानी कि तरल पदार्थ में दिया जाता है. इस दौरान मंदिर के पट बंद रहते हैं और भगवान को सिर्फ काढ़े का ही भोग लगाया जाता है. ये परंपरा हजारों साल से चली आ रही है. इसके पीछे एक पौराणि‍क कथा (Rath Yatra 2022) प्रचलित है. 

यह भी पढ़े : धार्मिक यात्राओं को बढ़ावा देने के लिए 21 जून से ‘भारत गौरव ट्रेन’ चलाई जाएगी

इसलिए हो जाता है भगवन जगन्नाथ को जुखाम  
पुराणों में बताया गया है कि राजा इंद्रदुयम्‍न अपने राज्‍य में भगवान की प्रतिमा बनवा रहे थे. उन्‍होंने देखा कि शिल्‍पकार उनकी प्रतिमा को बीच में ही अधूरा छोड़कर चले गए. ये देखकर राजा विलाप करने लगे. भगवान ने इंद्रदुयम्‍न को दर्शन देकर कहा, ‘विलाप न करो. मैंने नारद को वचन दिया था कि बालरूप में इसी आकार में पृथ्‍वीलोक पर विराजूंगा.’ तत्‍पश्‍चात भगवान ने राजा को ओदश दिया कि 108 घट के जल से मेरा अभिषेक किया जाए. तब ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा थी. तब से यही मान्‍यता चली आ रही है कि किसी शिशु को यदि कुंए के ठंडे जल से स्‍नान कराया जाएगा तो बीमार पड़ना स्‍वाभाविक है. इसलिए तब से ज्‍येष्‍ठ मास की पूर्णिमा से अमावस्‍या तक भगवान की बीमार शिशु के रूप में सेवा (god Jagannath ill) की जाती है. 

यह भी पढ़े : Father's Day 2022: सबसे पहले रामायण और महाभारत ने समझाया था पिता का महत्व, इन किस्सों ने खोल दिया था सारा सच

कब और कैसे स्‍वस्‍थ होते हैं भगवन जगन्नाथ 
अत्यधिक स्नान से बीमार हुए भगवान के दर्शन के लिए भक्त भी 15 दिनों तक इंतजार करते हैं. रथ यात्रा से ए‍क दिन पहले वह स्‍वस्‍थ होते हैं. माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ के पुजारी उनके स्वस्थ होने के लिए पूजा करते हैं और 15 दिन तक औषधीय गुणों से युक्त काढ़े का भोग लगाते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी काढ़े से भगवान 15 दिन में पुन: स्वस्थ होकर आषाढ़ शुक्ल पड़ीवा (प्रथम तिथि) पर भक्तों को दर्शन देते हैं. तब उन्‍हें मंदिर के गर्भ गृह में वापस लाया जाता है.

यह भी पढ़े : Grah Shanti Flower: एक बार बस अपने पास रख लें ये फूल, ग्रह शांति की समस्या हो जाएगी छूमंतर

फिर भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ अपनी मौसी रोहिणी से भेंट करने गुंडीचा मंदिर जाते हैं. भगवान के गुंडीचा मंदिर में आने पर यहां उत्‍सवों और सांस्‍कृति कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. यहां तरह-तरह के पकवान से प्रभु को भोग लगाया जाता है. भगवान यहां 9 दिन तक रहते हैं और उसके बाद अपनी मौसी के घर से वापस अपने मंदिर (lord jagannath ill) में लौट जाते हैं. 

lord Jagannath rath yatra pur lord Jagannath 14 days quarantine lord Jagannath quarantine Lord Jagannath Rath Yatra lord jagannath puri Lord Balabhadra lord jagannath ill Lord Jagannath lord jagannath Rath Yatra latest news lord jagannath Rath Yatra news
      
Advertisment