Tulsidas Jayanti 2022: जब पत्नी के वियोग में तुलसीदास जी ने लाश और सांप को लगा लिया गले
सावन माह (sawan 2022) की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती (tulsidas jayanti 2022) मनाई जाती है. इसके अलावा उन्होंने गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल और बरवै रामायण सहित 12 ग्रंथों की रचना की है.
नई दिल्ली:
हर साल सावन माह (sawan 2022) की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती (tulsidas jayanti 2022) मनाई जाती है. जो कि इस साल 4 अगस्त यानी कि आज है. तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि थे. इनका जन्म उत्तर प्रदेश के राजापुर नामक गांव में हुआ था. सन् 1554 में जन्म लेने वाले संत तुलसीदास ने रामचरितमानस (tulsidas jayanti 2022 ramcharitmanas) की रचना की जो कि अमर काव्यों में से एक है. इसके अलावा उन्होनें गीतावली, कवितावली, विनयपत्रिका, जानकी मंगल और बरवै रामायण सहित 12 ग्रंथों की रचना की है. बताया जाता है कि जन्म लेते ही तुलसीदासजी के मुख से 'राम' नाम का शब्द निकला था इसलिए उनका नाम रामबोला (tulsidas jayanti 2022 historical facts) रख दिया गया था.
रात में शव पकड़कर किया नदी को पार -
कहा जाता है कि शादी के बाद रामबोला की पत्नी अपने मायके गईं हुई थीं. पत्नी के जाने के बाद उनका मन नहीं लगा और उन्होंने रात में ही बिना कुछ सोचे-समझे उफनती नदी को एक शव को पकड़कर पार किया. नदी पार करने के बाद वे ससुराल पहुंचे तो देखा की ससुराल का दरवाजा बंद था. लेकिन, उनसे इंतजार नहीं हो पाया और पत्नी से मिलन की दीवानगी ऐसी थी कि बंद दरवाजा भी रामबोला को रोक (tulsidas jayanti 2022 cross river) नहीं पाया.
रामबोला ने किया ऐसा प्रयास -
रामबोला ससुराल में अपने पत्नी के कक्ष में प्रवेश करने के लिए दीवार फांदने का प्रयास कर रहे थे कि तभी उन्होंने खिड़की से एक रस्सी लटकी हुई देखी और वे उसको ही पकड़कर दीवार पार कर गए. रामबोला ने जिसको रस्सी समझा था. दरअसल, वो एक सांप था, जिसकी जानकारी उनको बाद में हुई. इतना करने के बाद आखिरकार रामबोला अपनी पत्नी के (tulsidas jayanti 2022 rambola) कक्ष में पहुंच गए.
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प्रेत का हुआ सामना -
बताया जाता है कि एक बार जब तुलसीदासजी भगवान राम की खोज कर रहे थे. तब उनका सामना एक पेड़ पर रहने वाला प्रेत से हुआ. दरअसल, एक पेड़ बहुत सूख रहा था और तुलसीदासजी ने उस पेड़ को पानी दिया तो वो फिर से हरा भरा हो गया. उस पेड़ पर एक प्रेत रहता था, जिसने उनको हनुमानजी से मिलने का उपाय बताया था. तुलसीदासजी हनुमानजी को खोजते हुए उनके पास पहुंच गए और राम दर्शन के लिए प्रार्थना करने लगे. तब, हनुमान जी ने चित्रकूट में रामघाट पर घोड़े पर सवार राम और लक्ष्मण (tulsidas jayanti 2022 tulsidas birthplace) के दर्शन करवाए.
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