Budhvaar Vrat, Puja Vidhi, Katha Importance: बुधवार के व्रत की मान्यता है अत्यधिक खास, इन दो देवताओं के आशीष से मिलता है लक्ष्मी का स्वामित्व
बुधवार ही एक ऐसा दिवस है जिस दिन व्रत करने से एक नहीं बल्कि दो दो देवताओं का आशीर्वाद बरसता है. ऐसे में आज हम आपको बुधवार के व्रत, कथा और पूजा विधि के साथ साथ उन दोनों देवताओं की आरती और पूजा महत्व के बारे में भी बताने जा रहे हैं.
नई दिल्ली :
बुधवार का दिन व्रत रखने के लिए उत्तम माना गया है. इस दिन बुद्धदेव के साथ भगवान गणेश की पूजा भी की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, बुधवार के दिन व्रत रखने से जीवन मंगलमय हो जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से बुद्धि में वृद्धि होती है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, बुधवार के व्रत की शुरुआत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार से होनी चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि जो इंसान विधि पूर्वक बुधवार का व्रत रखता है उसकी हर एक मनोकामना पूरी होती हैं. बुधवार का व्रत रखने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है तथा व्यक्ति समृद्धशाली बनता है. यह व्रत रखने से किसी भी व्यक्ति को कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. बुधवार का व्रत रखने से विभिन्न क्षेत्रों में सफलता मिलती है. अगर आप भी बुधवार का व्रत रख रहे हैं तो यहां जानें व्रत की पूजा विधि, महत्व, आरती और कथा.
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बुधवार व्रत पूजा विधि
बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर अपने घर की साफ-सफाई कर लें. स्नान आदि करने के बाद पवित्र जल का छिड़काव अपने घर में करें. भगवान बुध या शंकर जी की मूर्ति कांस्य पात्र पर स्थापित करने के बाद उन्हें बेलपत्र, अक्षत, धूप अर्पित करें और घी का दीया जला कर पूजा करें. बुधवार की व्रत कथा का पाठ करने के बाद आरती करें फिर गुड़, चावल और दही का प्रसाद बांटें और खुद ग्रहण करें.
बुधवार व्रत के नियम
- बुधवार के व्रत में नमक खाने से परहेज करना चाहिए.
- साथ ही बुधवार के दिन गणेश जी को घी और गुड़ का भोग लगाएं और इस भोग को गाय को खिलाएं.
- बुधवार व्रत की कथा जरूर पढ़ें और आरती भी करें.
- मान्यता है कि बुधवार के व्रत में हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है.
बुधवार व्रत कथा
एक व्यक्ति अपने पत्नी को विदा करवाने के लिए ससुराल गया. कुछ दिन रहने के बाद वह जिद करने लगा कि उसकी पत्नी को विदा कर दिया जाए. उसके सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार का दिन है और इस दिन गमन नहीं किया जाता है इसीलिए बेटी की विदाई नहीं हो सकती है. लेकिन वह व्यक्ति जबरदस्ती अपनी पत्नी को विदा करवा कर अपने घर ले जाने लगा. रास्ते में उसकी पत्नी को प्यास लगी और उसने अपने पति को पानी लाने के लिए भेजा. वह व्यक्ति लोटा लेकर पानी लेने के लिए चला गया. जैसे ही वह पानी लेकर वापस आया तब उसने देखा कि रथ में ठीक उसके जैसा वेश-भूषा वाला कोई और व्यक्ति उसकी पत्नी के साथ बैठा है.
वह क्रोधित होकर उस व्यक्ति से पूछने लगा कि वह कौन है और उसकी पत्नी के पास क्यों बैठा है. तब दूसरे व्यक्ति ने कहा कि यह मेरी पत्नी है. इस बात पर दोनों के बीच लड़ाई होने लगा तभी वहां कुछ सिपाही आ गए और स्त्री से उसके असली पति के बारे में पूछने लगे। दोनों व्यक्ति को देखकर स्त्री हैरान थी इसलिए वह कुछ बोल नहीं पाई. पहला व्यक्ति बहुत परेशान हो गया और कहने लगा कि हे भगवान ये आपकी कैसी लीला है कि आज सच्चा व्यक्ति झूठा बन गया है. पहला व्यक्ति काफी परेशान हो गया तभी आकाशवाणी हुई की उसे अपनी पत्नी को आज विदा करवा कर नहीं ले जाना चाहिए था क्योंकि आज बुधवार है और यह सब बुधदेव की लीला है. पहला व्यक्ति बुद्धदेव से प्रार्थना करने लगा और क्षमा मांगने लगा. बुद्धदेव अंतर्ध्यान हो गए और उस व्यक्ति को अपनी पत्नी मिल गई. तब से हर दिन पति-पत्नी नियम पूर्वक बुद्धदेव की पूजा करने लगे और हर बुधवार के दिन व्रत रखने लगे.
बुधवार व्रत महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति बुधवार का व्रत रखता है उसे सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है. बुधवार का व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है तथा अरिष्ट ग्रहों की शांति होती है. बुधवार का व्रत करने वाले व्यक्ति की बुद्धि भी बढ़ती है.
बुधवार व्रत लाभ
- मान्याओं के अनुसार बुधवार को व्रत करने वाले जातक के जीवन में सुख, शांति और यश बना रहता है.
- इस व्रत को करने से आपके अन्न के भंडार कभी खाली नहीं होते.
- बुधवार के गणेश की पूजा करने से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं.
- माना जाता है कि बुधवार के दिन बुध ग्रह की पूजा करने से कुंडली में बुध ग्रह की उपस्थिति शुभ जगह पर होती है.
- यदि आपका कमाया हुआ धन व्यर्थ जा रहा है तो बुधवार का व्रत करें.
बुधवार आरती
आरती युगलकिशोर की कीजै. तन मन धन न्यौछावर कीजै..
गौरश्याम मुख निरखत रीजै. हरि का स्वरुप नयन भरि पीजै..
रवि शशि कोट बदन की शोभा. ताहि निरखि मेरो मन लोभा..
ओढ़े नील पीत पट सारी. कुंजबिहारी गिरवरधारी..
फूलन की सेज फूलन की माला. रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला..
कंचनथार कपूर की बाती. हरि आए निर्मल भई छाती..
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