Sawan Som Pradosh Vrat 2022 Katha: सावन के सोम प्रदोष व्रत के दौरान पढ़ें ये कथा, बरसेगी शिव जी की असीम कृपा
कल 25 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत (som pradosh vrat 2022) है. इस व्रत में शिव जी और मां पार्वती की आराधना से सारे दुख दूर हो जाते हैं. इस वजह से ये दिन पूजा-पाठ की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण (Sawan Pradosh Vrat 2022 katha) होता है.
नई दिल्ली:
सावन (sawan 2022) का महीना 14 जुलाई से शुरू हो चुका है. ऐसे में कल यानी कि 25 जुलाई को सावन का पहला प्रदोष व्रत है. इस दिन सावन का सोम प्रदोष व्रत है और सावन का दूसरा सोमवार व्रत (Sawan 2022 Somvar Vrat) भी है. ये दोनों ही तिथि शिव जी की पूजा के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. इस दिन अत्यन्त ही शुभ संयोग (sawan som pradosh vrat 2022 shubh yog) बन रहे हैं. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बनेगा, ज्योतिष के अनुसार जो लोग प्रदोष व्रत की शुरुआत करना चाहते हैं वो इस संयोग में शुरू कर सकते है. माना जाता है कि इस व्रत में शिव जी और मां पार्वती की आराधना से सारे दुख दूर हो जाते हैं. इस वजह से ये दिन पूजा-पाठ की दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण (Sawan Pradosh Vrat 2022 special) माना जाता है. तो, चलिए जानते हैं कि इस व्रत के दौरान कौन-सी कथा पढ़नी चाहिए.
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सोम प्रदोष व्रत 2022 कथा -
प्राचीन काल में एक गरीब ब्राह्मणी अपने पति की मृत्यु के बाद भीख मांग कर अपने जीवन का निर्वाह करने लगी. उसका एक पुत्र भी था, जिसको वह रोज सुबह अपने साथ लेकर निकल जाती और सूर्य डूबने तक वापस आ जाती थी. एक दिन उसकी भेंट विदर्भ देश के राजकुमार से हुई जो अपने पिता की मृत्यु और राज्य में दूसरों का कब्जा हो जाने के कारण मारा-मारा फिर रहा था. उसकी स्थिति देख कर ब्राह्मणी को दया आ गई और वह उसे अपने घर ले आई. एक दिन वह ब्राह्मणी दोनों बालकों के साथ शांडिल्य ऋषि के आश्रम में गई और उनसे भगवान शंकर की पूजन विधि जानकर लौट आई तथा प्रदोष व्रत करने लगी.
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कुछ समय के बाद एक दिन दोनों बालक वन में घूम रहे थे, वहां उन्होंने कुछ कन्याओं को क्रीड़ा करते देखा. ब्राह्मण कुमार तो घर लौट आया परंतु राजकुमार एक गंधर्व कन्या से बात करने लगा. उस कन्या का नाम अंशुमति था. उस दिन राजकुमार घर देरी से लौटा. दूसरे दिन राजकुमार फिर उसी जगह पहुंचा. जहां अंशुमति अपने माता-पिता के साथ बैठी बातें कर रही थी. राजकुमार को देखकर अंशुमति के पिता ने उसे पहचान लिया और कहा कि तुम विदर्भ नगर के राजकुमार हो और तुम्हारा नाम धर्मगुप्त है.
भगवान शंकर की आज्ञा से हम अपनी कन्या अंशुमति का विवाह तुम्हारे साथ करेंगे. राजकुमार ने स्वीकृति दे दी और उसका विवाह अंशुमति के साथ हो गया. बाद में राजकुमार ने गंधर्व राज विद्रविक की विशाल सेना लेकर विदर्भ पर चढ़ाई कर दी. घमासान युद्ध हुआ. राजकुमार विजयी हुए और स्वयं पत्नी के साथ वहां राज्य करने लगे. उसने ब्राह्मणी को पुत्र सहित महल में अपने साथ रखा, जिससे उनके सभी दुख दूर हो गए. एक दिन अंशुमति ने राजकुमार से पूछा कि यह सब कैसे हुआ. तब राजकुमार ने कहा कि यह सब प्रदोष व्रत के पुण्य का फल है. उसी दिन से प्रदोष व्रत का महत्व (sawan som pradosh vrat 2022 katha) और भी बढ़ गया.
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