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Puja Path Rules: पूजा-पाठ के दौरान रखें इन विशेष नियमों का ध्यान, मनोकामनाएं होंगी पूरी और मिलेगा लाभ

पूजन में कुछ नियमों (puja path niyam) का पालन जरूर करना चाहिए और एक चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे अपनी साधना को चरणबद्ध तरीके से उन्नत करना चाहिए. विधि-विधान से की गई उपासना (rules of puja) मन को मजबूत करती है.

Updated on: 11 May 2022, 12:14 PM

नई दिल्ली:

हर इंसान अपने देवता की पूजा (puja path) करता है. लेकिन, सबकी पूजा करने की विधि अलग प्रकार की होती है. आज हम आपको यही बताएंगे कि लोगों को किस तरीके से अपने भगवान का पूजन करना चाहिए. वैसे तो उपासना करना भाव पूर्ण कार्य है. जिसका अर्थ है कि आप शुद्ध हृदय से उपासना करें. लेकिन, आजकल सभी की जिंदगी इतनी ज्यादा व्यस्त हो गई है कि ऐसा भाव बन नहीं पाता है. फिर भी पूजन में कुछ नियमों (puja path niyam) का पालन जरूर करना चाहिए और एक चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे अपनी साधना को चरणबद्ध तरीके से उन्नत करना चाहिए. क्योंकि विधि-विधान से की गई उपासना मन को मजबूत करती है. ऐसा नियमित तौर पर करने से बहुत लाभ (rules of puja) होता है. 

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पूजा-उपासना के दौरान इन नियमों का करें पालन -

प्रभु को उन सब चीजों के लिए धन्‍यवाद दें जो उन्‍होंने अब तक दिया है. हर रोज ढेर सारी समस्‍याएं न गिनाएं. 

उपासना करने से पहले स्नान करें और फिर शांत चित्त से पूजा (worship niyam) घर में जाएं. 

किसी भी प्रकार की कोई जल्दी न करें. भले ही 5 मिनट पूजा करें लेकिन उस बीच में अपने ऑफिस और घर का तनाव या व्‍यवस्‍तता आदि सब भूल कर केवल पूजा में फोकस करें. 

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पूजा शुरू करने से पहले पूजा स्थान को साफ अवश्य कर लें. फोटो को साफ कपड़े से पोंछ लें. अगर भगवान की कोई मूर्ति है तो उसको स्नान करा लें.  

पूजा में सबसे पहले पंच तत्वों की मौजूदगी होनी आवश्यक है. ये पंच तत्व हैं- अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश. जब हम पूजा घर में पहुंचते हैं तो हमारे पास इन पंचतत्व में तीन तत्व पहले से ही उपस्थित रहते हैं, आकाश, वायु और पृथ्वी. बस हमें आवश्यकता पड़ती है अग्नि तत्व की और जल तत्व की इसलिए सबसे पहले एक छोटा सा देसी घी का दीपक जलाएं. इसके अलावा कलश में साफ जल रखें. इसके बाद आप आंख बंद करके प्रार्थना करिए और जो भी आपकी समस्याएं हैं, वह प्रभु से शेयर करें.  

पूजा के दौरान बांस की डंडी वाली अगरबत्ती का प्रयोग नहीं करना चाहिए. क्योंकि बांस का प्रयोग पूजा में निषिद्ध होता है. इसके स्थान पर धूपबत्ती का इस्तेमाल करें.  

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उपासना प्रारम्भ करते ही सर्वप्रथम गणपति जी को प्रणाम करना अनिवार्य होता है. पूजा का श्री गणेश करने के लिए गणेश जी की उपासना करना जरूरी होती है.  

पूजा के अंत में एक छोटे से कलश में जल लेकर घर की तुलसी माता को जल चढ़ाएं. अगर आपके यहां तुलसी नहीं लगी है तो आज ही ले आएं. तुलसी मां का आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी (puja path dhoop) होता है.