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Omkareshwar Jyotirlinga History And Mystery: सोने से पहले इस जगह पर महादेव खेलते हैं माता पार्वती संग चौसर

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महीमा (Omkareshwar Jyotirlinga facts) इतनी निराली है कि सावन में इनका नाम जपने से सभी दूख दूर हो जाते हैं. शिव पुराण के मुताबिक, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar History) को परमेश्वर लिंग के नाम से भी जाना जाता है.

Updated on: 06 Aug 2022, 12:58 PM

नई दिल्ली:

सावन का महीना (Sawan 2022) चल रहा है. ऐसे में आज हम आपको शिव धाम के बारे में बताने जा रहे हैं. जो कि ओंकारेश्वर महादेव (Omkareshwar Jyotirlinga) का चौथा ज्योतिर्लिंग 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महीमा (Omkareshwar Jyotirlinga facts) इतनी निराली है कि सावन में इनका नाम जपने से सभी दूख दूर हो जाते हैं. शिव पुराण के मुताबिक, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को परमेश्वर लिंग के नाम से भी जाना जाता है. शिव जी का ये धाम मध्यप्रदेश के इंदौर शहर के पास स्थित है. तो, चलिए भोलेनात के इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी रोचक बातें और कथा (Omkareshwar Jyotirlinga history) के बारे में जानते हैं.      

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राजा के कहने पर विराजमान हुए शिव -

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग जिस पर्वत पर बसा है उसे मांधाता और शिवपुरी पर्वत के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, राजा मांधाता ने इसी पर्वत पर कठोर तपस्या करके भोलेनाथ को प्रसन्न किया था. परिणाम स्वरूप, राजा मंधाता के कहने पर भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में यहां विराजमान हो गए थे. तभी से ये पर्वत मंधाता पर्वत (Omkareshwar Jyotirlinga katha) कहलाने लगा.   

ओंकारेश्वर मंदिर का रहस्य -

माना जाता है कि शिव-पार्वती यहां रोज चौसर पांसे खेलते हैं. शयन आरती के बाद, मंदिर के पुजारी प्रतिदिन चौसर पांसे की बिसात लगाते हैं और फिर पट बंद कर दिए जाते हैं. इसके बाद गर्भगृह में किसी के भी जाने की मनाही होती है. कहा जाता है कि सुबह ये पांसे उल्टे मिलते हैं. इसका रहस्य कोई सुलझा (Omkareshwar Jyotirlinga mystery) नहीं पाया.    

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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग दो भागों में बंटा हुआ है. यहां ओंकारेश्वर और ममलेश्वर रूप में महादेव का पूजन होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बाबा भोलेनाथ यहां रात्रि में शयन के लिए आते हैं.   

पहाड़ों पर बसे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के चारों ओर नर्मदा और कावेरी बहती है. ये ज्योतिर्लिंग औंकार यानी की ओम का आकार लिए हुए है. इसी वजह से इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर नाम से पुकारा जाता है.         

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कुबेर ने की शिव जी की पूजा -  

पौराणिक कथा के अनुसार, धन के देवता कुबेर ने यहां शिवलिंग स्थापित करके महादेव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था. भोलेनाथ कुबेरी की तपस्या से खुश हुए और उन्होंने कुबेर को धन का देवता बना दिया. यहीं शिव शंभू ने कुबेर के स्नान के लिए अपनी जटाओं से कावेरी नदी को उत्पन्न किया था. यहां कावेरी और नर्मदा नदी का संगम मिलता है. इस संगम पर धनतेरस पर विशेष पूजा अर्चना (Omkareshwar Jyotirlinga chausar panse) की जाती है.