Ganesh Chaturthi 2022 Ganpati Marriage Story: कैसे हुई गणपति बप्पा की दो शादी, जानें उनके परिवार का इतिहास
गणपति जी (ganesh chaturthi 2022) के जन्म की कथा तो काफी प्रचलित है लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर गणपति जी (Ganesh Chaturthi 2022 ganesh family) के दो विवाह क्यों हुए हैं? उनके पुत्र और पोते कौन है.
नई दिल्ली:
आज से गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) का पावन अवसर शुरू हो चुका है. आज से अगले 10 दिनों तक इस त्योहार की देशभर में धूम रहेगी. गणपति बप्पा की पूजा से बुद्धि, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि जो लोग गणेशोत्सव में बप्पा की सच्चे मन से आराधना करते हैं. उसका बेड़ा पार हो जाता है. इसके साथ ही गणपति की उपासना से सारे सकंट खत्म हो जाते हैं. इस साल गणपति जी की स्थापना का मुहूर्त सुबह 11 बजकर 05 से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है. गणपति जी के जन्म की कथा तो काफी प्रचलित है लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर गणपति जी (Ganesh Chaturthi 2022 ganesh family) के दो विवाह क्यों हुए हैं? उनके पुत्र और पोते कौन है. तो, चलिए उनके परिवार के बारे में जानते हैं.
गणपति जी की दो विवाह क्यों हुए ?
पौराणिक और धार्मिक कथा के अनुसार, एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं थीं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन, गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी करने से इनकार कर दिया था. गणपति की बात सुनकर तुलसी जी क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारे (ganpati wives and son name) दो विवाह होंगे.
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रिद्धि-सिद्धि कैसे बनी गणपति जी की पत्नी ? (Lord Ganesh marriage story)
एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान गणेश के शरीर की बनावट की वजह से कोई उनसे शादी करने के लिए तैयार नहीं था. इसी वजह से गणपति जी देवी-देवताओं के विवाह में विघ्न डालने लगे. गणपति के इस व्यवहार के चलते देवतागण अपनी परेशानी लेकर ब्रह्माजी के पास पहुंचे. ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि को गणेश जी से शिक्षा (ganesh marriage story) लेने के लिए उनके पास भेज दिया. जब गणेश जी के समक्ष किसी के विवाह की सूचना पहुंचती. रिद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटका देती. सभी विवाह बिना विघ्न के संपन्न हो गए, लेकिन जब इस बात का पता गणेश जी को लगा तो वो रिद्धि और सिद्धि पर क्रोधित होकर उन्हें श्राप देने लगें. तब, ब्रह्मा जी ने गणपति के सामने रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा. गणेश जी ने इसे स्वीकार कर लिया. इस तरह गणपति की दो पत्नियां हुईं. गणपति की रिद्धि-सिद्धि से दो संतान हुई, जिनका नाम शुभ और लाभ रखा गया. पौराणक मान्यताओं के अनुसार गणेश जी को आमोद और प्रमोद दो पोते हैं.
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